बिहार: अब महागठबंधन में सीटों की कवायद शुरू, 12 से कम सीटें कांग्रेस को मंजूर नहीं: सूत्र
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस बिहार में लोकसभा की 12 सीटों से कम पर मानने वाले नहीं हैं क्योंकि वो ‘सम्मानजनक’ नहीं होगा. ऐसे में महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
पटना: बिहार में एनडीए में भले ही सीट शेयरिंग का फैसला अब तक नहीं हो पाया हो लेकिन चुनावी मौसम में महागठबंधन में भी सीटों का बंटवारा आसान नहीं है. कांग्रेस के सूत्रों ने कहा है कि पार्टी बिहार में पिछले लोकसभा से कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी. कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक बिहार में महागठबंधन तभी बनेगा जब कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें मिलेंगी. आज दिल्ली में राहुल गांधी और बिहार कांग्रेस की नवनियुक्त टीम की अहम बैठक हुई जिसमें आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बारीकी से बातचीत हुई.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस बिहार में लोकसभा की 12 सीटों से कम पर मानने वाले नहीं हैं क्योंकि वो ‘सम्मानजनक’ नहीं होगा. ऐसे में महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन में शामिल हुए जीतन राम मांझी पहले ही 20 सीटों पर दावा ठोक चुके हैं. हालांकि ये दावा हवा-हवाई ही है लेकिन फिर भी जीतन राम मांझी ने सीट बंटवारे से पहले अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की है.
पिछले लोकसभा चुनाव में आरजेडी 25, कांग्रेस 12, एनसीपी 1 और बाकी पर लेफ्ट पार्टियों ने चुनाव लड़ा था. 2019 लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ भी महागठबंधन से ही चुनावी मैदान में उतरने जा रही है और मांझी को तीन-चार सीटें मिलने का अनुमान है. एनसीपी और लेफ्ट पार्टियां भी कतार में हैं. ऐसे में कांग्रेस सूत्रों के 12 सीटों से कम पर समझौता न करने वाली बात आरजेडी को अपनी सीटें बांटने के लिए मजबूर करेगा लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या तेजस्वी यादव इसके लिए तैयार होंगे.
कांग्रेस पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुकी है, बिहार में खिसकते जनाधार के बीच सवर्ण वोटरों को लुभाने के लिए पार्टी ने मदन मोहन झा के रूप में नया प्रदेश अध्यक्ष दे दिया है. पदभार संभालते ही उन्होंने साफ कर दिया कि कांग्रेस अब याचक की भूमिका में नहीं रहेगी, क्योंकि आने वाला समय कांग्रेस का ही है. टिकट बंटवारे में भी कांग्रेस सवर्णों का पूरा खयाल रखने वाली है ताकी उनके बीच ये संदेश दिया जा सके कि कांग्रेस पार्टी में सवर्णों की नेतृत्व में हिस्सेदारी है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नवंबर महीने में राहुल गांधी का बिहार दौरा हो सकता है जिसमें वो एक बड़ी रैली को संबोधित करेंगे. साथ ही ‘शक्ति’ एप को लेकर महिला सुरक्षा के मुद्दे पर महिलाओं के साथ एक सेशन हो सकता है.
राहुल गांधी ने कांग्रेस के सभी राज्य अध्यक्षों को लोक जनसम्पर्क अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है. इसमें पार्टी हर बूथ पर 10 लोक सहयोगी नियुक्त करेगी और हर लोक सहयोगी को चुनाव तक 25 परिवारों के सम्पर्क में रहना होगा.