पटना: बिहार की राजनीति में बीरबल की खिचड़ी एक बार फिर से पकने लगी है. 2019 से पहले नीतीश कुमार, कांग्रेस को दिखाकर बीजेपी पर दबाव बना रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी लालू यादव पर दबाव बनाने के लिए नीतीश पर डोरे डाल रही है. राजनीतिक विशलेषकों की माने तो नीतीश एनडीए में वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. अगर बीजेपी ने समय रहते नहीं कुबूल किया तो कुछ भी हो सकता है.


दिल्ली में राहुल गांधी से बिहार के कांग्रेस नेताओं की बात हुई. कदवा विधानसभा के विधायक और एआईसीसी के डेलीगेट शकील अहमद ने कहा कि तेजस्वी यादव अगर मोदी मंत्रिमंडल में बैठे उपेंद्र कुशवाहा को खुला न्योता दे सकते हैं तो नीतीश के महागठबंधन में फिर से आने में हर्ज़ क्या है? कांग्रेस बिहार से जुड़े हर मुद्दे पर नीतीश कुमार के साथ रही है.


शकील अहमद ने कहा कि जो भी पार्टी बीजेपी के विचारधारा से अलग है उसे साथ लाने की ज़िम्मेदारी है. नीतीश अगर बीजेपी को छोड़ दें तो महागठबंधन में बात बन सकती है. राहुल गांधी से मिलने से पहले बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने भी कहा था कि नीतीश कुमार की छवि अच्छी रही है. समान विचारधारा के होने के नाते बिहार में दूसरे दलों से बात कर जुड़ सकते हैं.


वहीं नीतीश कुमार ने सोमवार को एक कॉलेज के समारोह में गठबंधन को लेकर अपनी खिन्नता जाहिर की थी. इसपर बीजेपी नेता और नीतीश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने दावा किया की कांग्रेस और करप्शन दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं. ऐसे में नीतीश कभी एनडीए छोड़कर नहीं जा सकते हैं.


लेकिन राजीनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि राजनीति में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. नीतीश कुमार एनडीए में पहले वाला रुतबा पाना चाहते हैं. ऐसे में जो कुछ भी जेडीयू की तरफ से बयान आ रहा है वो सोच समझ कर ही आ रहा है. नीतीश कुमार को पता है कि उनका दूसरे नेताओं या पार्टियों की तरह बड़ा जनाधार नहीं है पर उनकी छवि ही पूंजी है. राजनीतिक विश्लेषक शैबाल गुप्ता की माने तो नीतीश कुमार का अस्तित्व उनके काम से है और वोट बैंक इसी आधार पर बना है. वे किसी भी तरफ जाएं उसका पलड़ा भारी रहेगा.


नीतीश कुमार की परेशानी इस वक्त ये है कि वे नरेंद्र मोदी से बिना किसी शर्त के दोस्ती तो कर ली लेकिन अब मोदी-शाह की जोड़ी किसी मुद्दे पर सीधे बात नहीं कर रहे हैं. ऐसे में वे सार्वजनिक तौर पर अपनी बात रखकर बीजेपी को दबाव बना रहे. दूसरी तरफ नीतीश का चेहरा दिखाकर कांग्रेस भी लालू यादव पर दबाव बना रही है.