पटनाः बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि बीजेपी का मिशन 2020 क्या है? रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार में डिजिटल रैली करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर आम लोगों से मुखातिब होंगे. बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अमित शाह कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे.


डिप्टी सीएम ने कहा, ''सोशल मीडिया के जितने भी माध्यम हैं चाहे वो फेसबुक हो या ट्वीटर हो, ऑडियो हो वीडियो, फेसबुक लाइव करना हो या जूम एप के माध्यम से, जितने भी सोशल मीडिया के माध्यम हैं उन सभी माध्यम से हम लोगों को जोड़ रहे हैं. हमने लाखों लोगों को एक लिंक मैसेज किया है उस लिंक को क्लिक करने के बाद वो उनका भाषण सुन सकता है. दो दिन बाद भी उस लिंक को क्लिक कर भाषण सुना जा सकता है. तीसरी बात यह है कि जहां आधुनिक तकनीक नही है जैसे गांव के अंदर वहां हम टेलीविजन और एलसीडी स्क्रीन की व्यवस्था कर रहे हैं और उस स्क्रीन को मोबाइल से कनेक्ट कर भाषण प्रसारित किया जाएगा.'


सुशील मोदी ने कहा, 'ये जो हल्ला करते हैं कि लाखों करोड़ों खर्च होगा तो मैं बता दूं रैली आयोजन में लाखों खर्च होता है लोगों को लाने से लेकर मंच तैयारी व्यवस्था आदि में, लेकिन यह वर्चुअल रैल, ऐसी रैली है जिसमें लाख डेढ़ लाख रुपए से कम खर्च में भी लाखों लोग को संगठित कर सकते हैं. दिक्कत यह है कि लोगों को परेशानी हो रही है कि बीजेपी की पहुंच से. अभी लॉकडाउन के दौरान हमारे राष्ट्रीय या राज्य के नेता हों उन लोगों ने प्रतिदिन ऑडियो या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यहां तक की मैं खुद 20 हजार से ज्यादा बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं के साथ समय व्यतीत किया , खुद 35 घन्टे से ज्यादा दिया है.'


'लालू की वजह से बिहार 25 साल पीछे चला गया'
उपमुख्यमंत्री ने कहा, ''कोई पार्टी अगर रैली कर रही है तो आप इसमें किस बात का विरोध कर रहे हैं पहले यह तो बताएं ? ये तो कोई चुनावी रैली भी नहीं है, पार्टी के जो 6 वर्ष पूरे हुए हैं उसी को लेकर पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, नरेंद्र मोदी के संदेश को लेकर हम घर घर जा रहे हैं .एक करोड़ लोगों तक हम उनके संदेश को पहुचा रहे हैं तो पार्टी ने पिछले 6 साल में क्या किया और इस कोरोना के दौरान हमलोगों ने गरीबों के लिए खाद्यान्न कैसे दिया. डीबीटी के माध्यम से पैसा कैसे ट्रांसफर किये गए, राज्य सरकार ने क्या किया इन्हीं बातों को हम बता रहे हैं तो इसमें वो विरोध किस बात का कर रहे हैं. जब नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम आयोजित किया था थाली बजाने का और घन्टी बजाने का तो यही लोग मजाक उड़ा रहे थे और आज यही थाली बजा रहे हैं तो बजाए, इससे कोई फर्क पड़ने वाला नही है या तो वो ऐलान कर दें कि आरजेडी और कांग्रेस के लोग इस पूरे आने वाले तीन महीने के अंदर फेसबुक, ट्वीटर या अन्य किसी भी सोशल मीडिया का उपयोग नही करेंगे ये ऐलान कर दें और इन्हीं के पिता लालू यादव आईटी को लेकर मजाक बनाया करते थे और ऐसा कर बिहार को 25 साल पीछे इन्होंने धकेल दिया जिस समय आईटी का बूम था और बैंगलोर से लेकर हैदराबाद से आईटी कंपनियां आ रही थीं इन लोगों ने मजाक बनाया थी जिसका परिणाम हुआ कि बिहार आईटी के छेत्र में पिछड़ गया.''


'आप एक तरफ सोशल मीडिया का विरोध कर रहे हैं वर्चुअल रैली का विरोध कर रहे हैं आखिर वर्चुअल रैली क्या है ये तो हर पार्टी जो फेसबुक लाइव कर रही हैं वो भी तो वर्चुअल रैली ही है तो ये कोई बड़ी बात नहीं है, ज़ूम का इस्तेमाल कर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप का इस्तेमाल आज सारे लोग कर रहे हैं तो इसमें विरोध किस बात का आरजेडी के लोग ऐलान कर दें कि अगले तीन से चार माह वो कोई वर्चुअल रैली नहीं करेंगे.'


'क्वारंटीन कैंप में रहने के लिए अब पैरवी कर रहे'
तेजस्वी के पोस्टर लगाने और लेटर फाड़ने को लेकर सुशील मोदी ने कहा कि इस सब से कुछ नहीं होगा, चुनाव जब भी हों हम लड़ेंगे अपनी उपलब्धियों के आधार पर. मुख्यमंत्री ने उस दिन कहा है कि हमने क्वारंटीन सेंटर में रहने वाले लोगों पर 5 हजार तीन सौ रुपये प्रति व्यक्ति खर्च किया है आज उसका परिणाम है कि लोग क्वारंटीन सेंटर में रहना चाहते हैं. लोग पैरवी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें वहां सामान मिल रहा है सुविधा मिल रही है. केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने मिलकर 20 हजार करोड़ रुपए से कम चाहे वो खाद्य्यान हो या डीबीटी के माध्यम से लोगो के खाते में पैसे ट्रांसफर का मामला हो, केंद्र और राज्य दोनों ने मिलकर 20 हजार करोड़ केवल राहत के लिए हमलोगों ने गरीबों को देने का काम किया है.


'नीतीश ही हैं हमारे कमांडर'
आगामी चुनाव में मुख्य चेहरे को लेकर सुशील मोदी का कहना है कि बीजेपी ने तो तय कर दिया है इसमें इफ और बट का सवाल ही नही हैं और कल भूपेंद्र यादव ने भी दोबारा यही बातों को दोहराया है तो एक ही बात को बार बार कहने की आवश्यकता नही है, बिहार में आधे दर्जन बार जेपी नड्डा जी ने भी कहा है. देखिए युद्ध के दौरान कमांडर कभी बदला नहीं जाता है और एक बार जब कमांडर की घोषणा हो गई है और नीतीश जी यहां पिछले 15 से 20 वर्षों से हमारे कमांडर हैं. चिराग ने क्या बयान दिया ये मुझे पता नहीं.'


'हमारा ध्यान काम पर है'
डिप्टी सीएम ने कहा, 'अभी हमलोग संक्रमण से निपटने में लगे हैं, क्वारंटीन सेंटर में जो लोग हैं उन्हें सुविधा देने में लगे हैं, जो कोरोना का बढ़ता हुआ संक्रमण है ग्रामीण क्षेत्रों में उससे हमलोग चिंतित हैं इसलिए हमलोग का पूरा दिमाग इस समय इसी पर लगा है जब चुनाव का ऐलान होगा तब सारी चीजों को देखेंगे इसलिए हम बिल्कुल ही फोकस होकर गरीबों की सेवा और मदद में लगे हैं. आज ही सौ करोड़ की लागत से चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए अस्पताल का उद्घाटन किया गया. पिछले साल जून के महीने में चमकी बुखार से बड़ी संख्या में बच्चे मरे थे तो फिर ये बुखार न आये और अगर आये तो कैसे बच्चों को बचाया जाए यह हमारी चिंता है. फिर बाढ़ की संभावना है 16 जून को मानसून इंटर कर जायेगा कभी भी बिहार में बाढ़ आ सकती है तो सरकार का पूरा ध्यान अभी इन्ही सब चीजों पर केंद्रित है'


'हम साल भर पढ़ते हैं'
तेजस्वी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'हम लोग वो हैं जो साल भर पढ़ते हैं और परीक्षा की चिंता नही करते जब आ जाए हम तैयार हैं, तैयारी उनको करनी पड़ती हैं तो सालभर मटर गश्ती करते हैं जिन्होंने कुछ नहीं किया हो और जब परीक्षा नजदीक आती है तो 12 घन्टे पढ़ने लगते हैं.


'चुनाव समय पर ही होंगे'
सुशील मोदी ने कहा, ''मुझे अब लग रहा है  चूंकि चुनाव आयोग ने तैयारी शुरू कर दी है बैठक बुलानी शुरू कर दी हैं  और यह भी सुनने में आ रहा है कि ऑल पार्टी मीटिंग भी बुलाई जाएगी तो चुनाव आयोग के गतिविधियों से ऐसा लगता है कि समय पर बिहार में चुनाव होंगे.''


'लोक सभा में 40 में से 39 सीटें जीते थे'


उपमुख्यमंत्री ने कहा, ''अभी मैं कोई सीट का दावा नही करूंगा. सीट के दावा का कोई मतलब भी नही है हम तो लोकसभा में 39 सीट जीते हुए हैं. लोग चेहरे की क्रीडब्लिटी देखते हैं कि संकट में कौन खड़ा रहा. चमकी बुखार के समय कहां थे, पटना जब डूब रहा था तब कहां थे, कोरोना संक्रमण फैला तब कहां थे?''


'लालू वाद का मतलब अपहरण, अराजकता'
सुशील मोदी ने कहा, ''हमने मार्क्सवाद सुना था, लेनिन वाद सुना था लेकिन लालूवाद नहीं सुना था और यहां तो लालुवाद का अर्थ अराजकता है यानी अंधेरा अपहरण तो इनकी क्या परिभाषा है लालूवाद की और जिन गरीबों की बात करते हैं इनके राज में जब बाढ़ आती थी तो दो-दो महीने लोगों को 5 किलो गेहूं के लिए भी तरसना पड़ता था और आज लोगों को कितना अनाज मिल रहा है . इसलिए लोग चेहरे की विश्वनीयता और राजनीतिक दलों के वैचारिक आधार और जो काम किया है इसी आधार पर लोग वोट देते हैं इसलिए हमें वोट की चुनाव की चिंता नही हम काम करते हैं और करते रहेंगे और जब चुनाव का ऐलान होगा हम चुनावी मोड में आजाएंगे.''


बिहार में नीतीश NDA का चेहरा रहें या नहीं, हम BJP के साथ रहेंगे- चिराग पासवान