पटना: बिहार में बेहतर कार्य प्रदर्शन करने वाले 315 पुलिसकर्मियों को रविवार को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम पटना के पुलिस मुख्यालय में था. खुद बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने इन पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि दुनिया में केवल बिहार के जवान, सिपाही और हवलदार सत्तू-गुड़ और चना फांक कर काम करते हैं. चाहे साम्प्रदायिक मामला हो, जातीय संघर्ष हो या नरसंहार का मामला हो, किसी भी कठिन परिस्थिति में बिहार पुलिस काम कर सकती है.


इस कार्यक्रम के दौरान डीजीपी ने मंच पर बिहार पुलिस के एक अधिकारी को पेट थपथपाकर शाबाशी दी. पेट थपथपाकर शाबाशी देने वाले इस वीडियो की खूब चर्चा हुई. बिहार पुलिस के इस अधिकारी का नाम संजय कुमार है. संजय कुमार समस्तीपुर जिले के डीआईयू प्रभारी के पद पर कार्यरत हैं. इससे पूर्व वह मुफस्सिल थानाध्यक्ष, रोसरा सर्किल इंस्पेक्टर, अंगारघाट, ताजपुर, बंगरा और विभूतिपुर सहित आधा दर्जन थानों में प्रभारी रह चुके हैं.


क्यों किया गया संजय कुमार को सम्मानित?


दरअसल समस्तीपुर के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में फिरौती के लिए एक छात्रा का अपहरण हुआ था. जिसे बख्तियारपुर से बरामद करते हुए आठ अपराधियों को पिस्तौल, कारतूस, मोबाइल, कार और बाइक आदि के साथ पकड़ा गया था. वहीं मुसरीघरारी थाना कांड संख्या 37/19 में सोना व्यवसायी से अपराधियों ने दिनदहाड़े पिस्टल के बल पर 35 लाख रुपये का सोना और 90 हजार रुपये नगद सहित मोबाइल फोन लूट लिया था. इस मामले में संजय कुमार ने त्वरित कारवाई करते हुए छह अपराधियों को गिरफ्तार कर लूटा हुआ सोना, नगद रुपये और मोबाइल फोन बरामद किया था. दोनों ही कांड को लेकर इन्हें पटना में पुरस्कृत किया गया.


4200 दारोगा और 12000 सिपाहियों की जल्द बहाली- डीजीपी


उधर इस मौके पर डीजीपी ने कहा कि 4200 दारोगा और 12000 सिपाहियों की बहाली जल्द होने वाली है. इसके अलावा बिहार पुलिस के आधुनिकीकरण को लेकर भी काम किया जा रहा है. बेहतर पुलिसिंग के लिए अपराध अनुसंधान और लॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था को 15 अगस्त से अलग-अलग कर दिया गया है. इसका असर भी थोड़े दिनों बाद दिखने लगेगा. डीजीपी ने कहा कि उत्कृष्ट काम करने वाले लोगों को चाहे वो हवलदार हों या अफसर हों, हम उन्हें शाबाशी देने के लिए ऐसे सम्मान समारोह आयोजित किया करेंगे. उन्होंने कहा कि जैसे अर्जुन की निगाह मछली पर थी वैसे ही हमारे एक एक जवान-अधिकारी की नजर एक एक अपराधी पर होनी चाहिए.