बिहार: अपराध पर कैसे लगे लगाम जब DGP की भी नहीं सुनते पुलिस अधिकारी
बिहार के डीजीपी ने माना है कि अपराधियों के मन में पुलिस का भय नहीं है क्योंकि अपराधियों को ये विश्वास है कि वे अपराध करके निकल सकते हैं और पुलिस उन्हें नहीं पकड़ पाएगी.
पटना: बिहार में एक के बाद एक आपराधिक घटनाएं सामने आने के बाद सूबे की कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में है. यूं तो पुलिस मुख्यालय आए-दिन अपराध में कमी के आंकड़े पेश कर खुद की पीठ थपथपाता रहता है, लेकिन जिस तरह से अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं उससे पुलिस के ये दावे फीके साबित होते हैं.
अब बिहार के डीजीपी केएस द्विवेदी की एक चिट्ठी सामने आई है जिसे पढ़कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार पुलिस के अफसर कितने लापरवाह हैं जो अपने डीजीपी तक की नहीं सुनते. इसी महीने की 23 तारीख को डीजीपी ने सभी जिलों के वरीय पुलिस अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. इसके साथ ही उसे सुधारने के लिए कई दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं.
पुलिस मुख्यालय से निकले इस लेटर में डीजीपी ने अपने अफसरों को सही से ड्यूटी करने और कानून का राज बहाल करने के साथ ही जनता के बीच पुलिस की छवि सुधारने का टास्क दिया है. यूं तो सूबे मे बढ़ते अपराध के बीच पुलिस के काम करने के तरीके पर आम जनता सवाल खड़े करती रहती है लेकिन जब खुद पुलिस महकमे का मुखिया ये सवाल करे तो स्थिति का अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है.
हैरानी की बात ये है कि इस चिट्ठी में खुद डीजीपी ने माना है कि अपराधियों के मन में पुलिस का भय नहीं है क्योंकि अपराधियों को ये विश्वास है कि वे अपराध करके निकल सकते हैं और पुलिस उन्हें नहीं पकड़ पाएगी. डीजीपी ने निराशा जाहिर करते हुए लिखा है कि सूबे में रात्रि गश्ती की बात तो दूर दिन में भी नियमित गश्ती नहीं की जा रही है.
दरअसल इससे पहले बिहार डीजीपी ने सभी अफसरों को इसी साल मार्च के महीने में अपराधियों, शराब, हथियार और प्रतिबंधित वस्तुओं की रोकथाम के लिये नाकाबंदी का सुझाव दिया था लेकिन इस सुझाव का कहीं भी ढंग से पालन नहीं किया गया. नतीजा ये रहा कि अपराधी दिन-दहाड़े सरे-राह घटना को अंजाम देकर फरार हो जा रहे हैं और पुलिस कुछ भी नहीं कर पा रही.
इसीलिए डीजीपी ने फिर से सभी वरीयपुलिस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से जिलों में नाका स्थापित करने का आदेश दिया है. डीजीपी ने निर्देश दिया है कि हर नाके में जिला पुलिस बल के कम से कम 20 जवान तैनात किये जायें जो 24 घंटे तक नाके पर कार्यरत रहें. डीजीपी ने तमाम कार्यालयों और आवासीय कार्यालयों में जरूरत से ज्यादा तैनात जवानों को नाकाबंदी में उपलब्ध कराने की नसीहत दी है. वरीय पुलिस अधिकारियों को लिखी इस चिट्ठी से न केवल पुलिस महकमें में खलबली मच गई है बल्कि इससे पुलिस अफसरों की बड़ी लापरवाही भी उजागर हुई है.