पटना: बिहार में डॉक्टरों की हड़ताल से लगभग दर्जनभर मरीजों की मौत हो गई. राज्य सरकार की तरफ से डॉक्टरों की मांगों को लेकर दिए गए आश्वासन के बाद यह हड़ताल शुक्रवार को समाप्त हो गई. पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच), नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनएमसीएच) और दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (डीएमसीएच) के जूनियर डॉक्टरों ने बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार के गुरुवार रात मांगे पूरी होने के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म की.
स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार ने कहा, "सरकार के आश्वासन के बाद सभी हड़ताली डॉक्टर काम पर लौट आए हैं." एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर मंगलवार को एक मरीज के परिवार के हमले के बाद हड़ताल पर चले गए थे. पीएमसीएच और डीएमसीएच के डॉक्टर भी गुरुवार सुबह समर्थन दिखाते हुए हड़ताल में शामिल हो गए. वे ड्यूटी के दौरान जूनियर डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं और मरीजों के दुर्व्यवहार करने वालों परिजनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
दरअसल मंगलवार को नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मरीज को लेकर परिजनों ने जमकर बवाल काटा था. एक मरीज को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था लेकिन जब डॉक्टरों ने देखा तो मरीज को मृत घोषित कर दिया गया जिसपर परिजनों ने डॉक्टर पर दबाव बनाया कि मृत मरीज को इलाज कर जिंदा करे. मामला तब गंभीर हो गया जब परिजन गुंडागर्दी पर उतर गए और जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट और गोलीबारी की. हालांकि, किसी तरह की कोई नुकसान तो नहीं हुआ लेकिन बदसलूकी से गुस्साए डॉक्टर हड़ताल पर चले गए.