नई दिल्ली: भारतीय मूल की हॉलीवुड अभिनेत्री फ्रीडा पिंटो ने फिल्म 'इम्मोर्टल्स' में एक 'नजूमी' का किरदार निभाया था. शायर अमिताभ त्रिपाठी ने भी अपनी गजल के एक मिसरे को खूबसूरती के साथ सजाते हुए कहा है, 'ऐ नजूमी जरा सितारों पर हो सके तो थोड़ी सी रोशनी कर दे.' तो आखिर ये नजूमी है क्या? असल में नजूमी उस औरत को कहा जाता है जो सितारों की गति देखकर भविष्यवाणी करती है. माना जाता है नजूमी परंपरा भारतीय नक्षत्र गणना की परंपरा से ही प्रेरित है.


इस वक्त केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का हथिया नक्षत्र को लेकर दिया गया बयान काफी चर्चा में हैं. अश्विनी चौबे ने पटना में आई बाढ़ के लिए हथिया नक्षत्र को जिम्मेदार बताया है. वैसे तो हथिया नक्षत्र को किसानों के लिए वरदान माना गया है. लेकिन अगर अश्विनी चौबे की कही बात को सच माना जाए तो इस बार ये बिहार वासियों के लिए किसी श्राप से कम साबित नहीं हुआ है.


हथिया नक्षत्र को हस्त नक्षत्र भी कहा जाता है. ये 5 तारों का समूह है जिसकी आकृति हाथ के पंजे के जैसी है. इसका ग्रह स्वामी चंद्र है. पाश्चात्य में इसे α, β, γ, δ और ε Corvi से दर्शाया जाता है. तारा मंडल में इसकी स्थिति 10VI00-23VI20 है. हालाकि 27 नक्षत्रों में से पुष्य नक्षत्र को स्वामी नक्षत्र माना गया है. इस नक्षत्र के देव बृहस्पति माने गए हैं और शनि इसे दिशा दिखाता है. माना जाता है कि इस नक्षत्र का जातक महान कीर्ति अर्जित करता है.


भारत में नक्षत्र परंपरा काफी पुरानी मानी गयी है. आसमान में तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है. ये सभी नक्षत्र चंद्रमा के पथ में स्थित होते हैं जिनके समीप से चंद्रमा गति करता है. सूर्य कैलेंडर से इनकी गणना करना मुश्किल है, लेकिन चंद्र कैलेंडेर से इनकी गणना आसानी से की जा सकती है. वैसे तो 88+1 नक्षत्र माने गए हैं, लेकिन चंद्रमा 27 नक्षत्रों में गति करता है. इन्हें ही प्रधान नक्षत्र माना जाता है. इसके साथ ही एक गुप्त नक्षत्र भी माना गया है जिसे अभिजीत कहा जाता है. इस तरह इनकी संख्या 28 हो जाती है.


ऋग्वेद में एक जगह पर सूर्य की गणना भी नक्षत्र में की गई है. भागवत पुराण में कहा गया है कि ये सभी नक्षत्र प्रजापति दक्ष की पुत्रियां और चंद्रमा की पत्नी हैं. इसके साथ ही इसे लेकर शिव महापुराण में एक कथा भी बताई जाती है. कहा जाता है कि राजा दक्ष ने अपनी 27 पुत्रियों का विवाह चंद्र से किया था. लेकिन वो सभी 27 में से रोहणी से ज्यादा प्रेम करते थे.


चंद्र के इस व्यवहार के कारण बाकी की 26 दक्ष पुत्रियां दुखी रहती थीं. उन्होंने अपनी ये व्यथा अपने पिता को बताई. दक्ष ने चंद्रमा को समझाया लेकिन वो नहीं माने तो उन्होंने चंद्रमा को क्षय रोग का श्राप दे दिया.


चंद्रमा इससे घबरा कर ब्रह्मा के पास गए. ब्रह्मा ने उन्हें शिव की स्तुति करने को कहा. तब चंद्रमा ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना कर घोर तप किया. उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने कहा कि आज से हर मास में दो पक्ष होंगे (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष) इनमें लगातार तुम्हारी रोशनी घटेगी और बढ़ेगी, और जब पूर्णिमा को तुम अपने पूर्ण रूप में रहोगे तब रोहणी नक्षत्र में वास करोगे.


27 नक्षत्रों के नाम:-
1-आश्विन, 2-भरणी, 3-कृतिका, 4-रोहिणी, 5-मृगशिरा, 6-आर्द्रा, 7-पुनर्वसु, 8-पुष्य, 9-आश्लेषा, 10-मघा, 11-पूर्वा फाल्गुनी, 12-उत्तरा फाल्गुनी, 13-हस्त, 14-चित्रा, 15-स्वाति, 16-विशाखा, 17-अनुराधा, 18-ज्येष्ठा, 19-मूल, 20-पूर्वाषाढ़ा, 21-उत्तराषाढ़ा, 22-श्रवण, 23-धनिष्ठा, 24-शतभिषा, 25-पूर्वा भाद्रपद, 26-उत्तरा भाद्रपद और 27-रेवती, 28-अभिजीत.