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बिहार: सुपौल में लड़कियों के साथ मारपीट की घटना की पूरी कहानी
घटना के अगले दिन हॉस्टल वार्डन के आवेदन पर नौ नामजद और बाकी अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर ही सभी नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया.
![बिहार: सुपौल में लड़कियों के साथ मारपीट की घटना की पूरी कहानी Bihar: Full detail of attacks on schoolgirls for resisting assault in Supaul district बिहार: सुपौल में लड़कियों के साथ मारपीट की घटना की पूरी कहानी](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2016/05/27123716/Crime-1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
पटना: 6 अक्टूबर की शाम करीब साढ़े 4 बजे बिहार के सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडल में बाजार से कुछ ही दूरी पर डपरखा गांव में एक स्कूल परिसर के भीतर करीब 40 लड़कियों की पिटाई हुई. लड़कियों से मारपीट का आरोप गांव के ही लोगों पर लगा. दावा किया गया कि बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने मिलकर लड़कियों की लाठी-डंडे और लात-घूसों से पिटाई की. घटना के बाद हड़कंप मचने पर आनन-फानन में लड़कियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. अधिकतर लड़कियों को ऊपरी चोटें लगी थीं लेकिन शारीरिक चोट से ज्यादा लड़कियां मानसिक तनाव में थीं. चोट सही हो जाने के बाद भी लड़कियां हॉस्टल वापस नहीं जाना चाहती थीं क्योंकि वो अंदर से डरी और सहमी थीं.
घटना के अगले दिन हॉस्टल वार्डन के आवेदन पर नौ नामजद और बाकी अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर ही सभी नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. फिलहाल सभी लड़कियां खतरे से बाहर हैं. अधिकतर हॉस्टल वापस आ चुकी हैं जबकि कुछ अभी भी अस्पताल में अपने परिजनों के साथ इलाज करा रही हैं.
आखिर ये घटना क्यों हुई?
दरअसल त्रिवेणीगंज के डपरखा गांव में एक स्कूल चलाया जाता है जहां पिछड़े और गरीब समुदाय की बच्चियों के रहने-खाने और पढ़ने की व्यवस्था है. त्रिवेणीगंज के आवासीय विद्यालय में 50 से ज्यादा बच्चियां रहती हैं. आवासीय विद्यालय के परिसर में खेलने का मैदान नहीं है जिसकी वजह से बच्चियां बगल के ही माध्यमिक स्कूल के ग्राउंड में हर शाम खेलने जाती थीं. स्कूल परिसर के ठीक बगल में एक और बड़ा सा मैदान है, वहां भी बच्चियां खेला करती थीं. जिस स्कूल परिसर में बच्चियां खेलने जाती थीं उसकी दीवारों पर लड़कियों के नाम ले-लेकर कुछ बेहद ही आपत्तिजनक और अभद्र बातें लिखी हुई थीं.
बच्चियों के मुताबिक गांव के ही कुछ मनचले युवक ये हरकत करते थे, इतना ही नहीं बच्चियों के मुताबिक लड़के उन्हें छेड़ा भी करते थे और अश्लील कमेंट भी पास किया करते थे. इसको लेकर लड़कियां पहले भी कई बार आपत्ति जता चुकी थीं.
घटना के दिन बच्चियां उसी मैदान में खेल रही थीं, इस दौरान गांव के ही कुछ बदमाश लड़कों से उनकी कहा-सुनी हो गई. लड़कियां संख्या में ज्यादा थीं इसलिए उन्होंने मनचले युवकों को सबक सीखा दिया लेकिन ये लड़के भाग कर वापस गए और अपने-अपने घरों से परिजनों को लेकर आ गए जिसमें औरतें भी शामिल थीं.
अपने बच्चों की पिटाई से आग-बबूला हो चुके परिजनों ने मामला शांत कराने की बजाय उल्टा लड़कियों की पिटाई शुरू कर दी. देखते ही देखते भीड़ ने लड़कियों को लाठी-डंडे और लात-घूसों से पीट डाला. मारपीट के दौरान हॉस्टल के कुछ कर्मचारी बीच-बचाव करने आये लेकिन उन्हें भी भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ा.
एबीपी न्यूज़ से बातचीत में पीड़ित लड़कियों ने आरोप लगाया कि उन्होंने पहले ही कई बार छेड़खानी की जानकारी अपने हॉस्टल वार्डन को दी थी लेकिन प्रशासन के मुताबिक हॉस्टल वार्डन ने कभी भी ये बात अपने उच्च अधिकारियों को नहीं दी. अगर हॉस्टल वार्डन ने लड़कियों की शिकायत को गंभीरता से लिया होता तो बच्चियों के साथ हुई इस वीभत्स घटना से बचा जा सकता था. लेकिन क्या प्रशासन हॉस्टल वार्डन की इस लापरवाही पर कोई कार्रवाई करेगा, इसका जवाब देने के लिए कोई भी तैयार नहीं है.
फिलहाल इस घटना के बाद प्रशासन ने स्कूल की सुरक्षा बढ़ा दी है और बच्चियों को दोबारा से मोटिवेट करने की कोशिश की जा रही है ताकि उनके अंदर बैठ चुके डर को निकाला जा सके.
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