नई दिल्ली: बिहार में अपराधियों की बहार है. सुशासन का दावा करने वाली नीतीश कुमार की सरकार पूरी तरह विफल है. राज्य में जंगलराज की वापसी हो चुकी है. खास बात तो ये कि सुशील मोदी का अपराधियों के आगे हाथ जोड़ना भी बेकार चला गया. बीते चौबीस घंटे में हुई दो हत्या की घटनाओं ने एक बार फिर नीतीश सरकार को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. हाल ही में नीतीश कुमार ने बिहार में पुलिस के आला अधिकारियों के साथ अपराध को लेकर हाई-लेवल की मीटिंग की थी, लेकिन इन सब का कोई असर नहीं दिख रहा है.
मुजफ्फरपुर में एक कारोबारी का अपहरण कर उसके परिवार वालों से फिरौती की मांग की गई. जब अपराधियों को उनकी मुंह मांगी रकम नहीं मिली तो उन्होंने कारोबारी को मौत के घाट उतार दिया. मुजफ्फरपुर में हार्डवेयर कारोबारी जयप्रकाश का शव मिला है. परिजनों का आरोप है कि रविवार की शाम अपराधियों ने पहले हार्डवेयर कारोबारी को अगवा किया और फिर परिवार से डेढ़ करोड़ रुपये की फिरौती मांगी. पुलिस में शिकायत भी की गई लेकिन परिवार की शिकायत की पुलिस वालों ने कोई सुध नहीं ली. बदमाशों ने अगवा व्यापारी की हत्या कर दी.
वहीं नालंदा में जयवर्धन कुशवाहा नाम के एक बैंक मैनेजर का मर्डर कर दिया गया. पिछले 27 सितंबर को शेखपुरा से बिहार ग्रामीण बैंक से वे वापस नालंदा लौट रहे थे, तभी उनका अपहरण कर लिया गया था. पुलिस लगातार छह दिनों से अंधेरे में ही खाक छानती रही. बुधवार को बैंककर्मी का क्षत-विक्षत शव पुलिस ने शव को बरामद किया. नालंदा पुलिस, नवादा पुलिस और शेखपुरा पुलिस तीनों मिलकर भी बैंक मैनेजर को नहीं बचा सकी. केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने भी बैंक मैनेजर के परिजनों से मुलाकात की थी.
बता दें कि अपहरण के अगले ही दिन बदमाशों ने परिवार वालों को इसकी सूचना दी. हालांकि पुलिस ने कारवाई करते हुए अपहरण के अगले दिन बैंककर्मी का बैग राजगीर थाना क्षेत्र के बेलौर गांव से बरामद किया. वहीं पर से एक खोखा भी पुलिस ने बरामद किया था. इसके बाद राजगीर थाना में मामला दर्ज किया गया. स्थानीय लोगों की मानें तो बैंककर्मी की हत्या 28 सितंबर को कर दी गयी.