बिहार: चुनाव प्रचार से दरकिनार किए जाने पर जेडीयू विधायक ने नीतीश कुमार को भेजा इस्तीफा
चुनाव प्रचार से दरकिनार किए जाने पर हायागाट से जेडीयू विधायक अमरनाथ गामी ने विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि इस्तीफा नीतीश कुमार को भेज दिया है.
दरभंगा: दरभंगा जिले के हायाघाट विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू विधायक अमरनाथ गामी ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान दरकिनार किए जाने पर मंगलवार को बिहार विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. हायाघाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से दो बार के विधायक रहे अमरनाथ ने कहा कि समस्तीपुर या दरभंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में उनका उपयोग नहीं किए जाने का उन्हें गहरा दुख है इसलिए उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा देने का फैसला किया है.
अमरनाथ ने कहा. ' मैंने अपना त्याग पत्र अपने पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को भेज दिया है.” हालांकि, अमरनाथ ने जोर देकर कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे और जेडीयू में कार्य करते रहेंगे क्योंकि उन्हें अपने नेता नीतीश कुमार पर पूरा भरोसा है जो केंद्र की एनडीए सरकार की मदद से बिहार के विकास के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "चूंकि मैं गठबंधन में खलल नहीं डालना चाहता था और मैं चाहता था कि नरेंद्र मोदी जी देश और बिहार के विकास के लिए सरकार में लौटें, इसलिए मैं समस्तीपुर और दरभंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान (29 अप्रैल) हो तक खामोश रहने का निर्णय लिया था.’’
अमरनाथ ने कहा कि चूंकि उन्हें हायाघाट के अपने लोगों के सामने यह स्पष्टीकरण देना पड़ता कि चुनाव प्रचार के दौरान वह क्यों सक्रिय नहीं दिखे, इसलिए उन्होंने मतदान के बाद अपने मन की बात कहने का फैसला किया. हायाघाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र दरभंगा जिले में है लेकिन यह समस्तीपुर निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है. यहां से एजेपी प्रमुख रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान एनडीए के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.
जेडीयू नेता ने कहा कि उनकी सेवाओं का न तो समस्तीपुर में और न ही दरभंगा में उपयोग किया गया, इस तथ्य के बावजूद कि हायाघाट और दरभंगा दोनों शहरों में उनकी बेहतर पकड़ है. उन्होंने कहा, “मैंने अपने नेता नीतीश जी को चुनाव प्रचार के दौरान खुद को दरकिनार किए जाने की जानकारी दी थी, लेकिन गठबंधन के धर्म का पालन करने के लिए उन्होंने चुप रहना ही उचित समझा क्योंकि दोनों सीटें (समस्तीपुर और दरभंगा) राजग के घटक दलों की थीं और जेडीयू की नहीं थीं.”