पटना: बिहार में महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है. एक तरफ आरजेडी ये दावा कर रही है कि रामविलास पासवान भी एनडीए छोड़कर महागठबंधन में आने वाले हैं तो वहीं जीतन राम मांझी की पार्टी ने इसका विरोध कर दिया है. दलित नेता होने का दावा करने वाले जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने पहले उपेन्द्र कुशवाहा का विरोध किया तो अब रामविलास पासवान के आने की संभावना को भी खारिज़ कर रहे हैं. एलजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जब-जब दलितों पर अत्याचार हुआ है ये सत्ता में चुपचाप बैठे रहे हैं.


विजय यादव ने कहा कि साढ़े चार साल गुजरने के बाद चिराग पासवान आवाज उठा रहे हैं. ये 'मौसम वैज्ञानिक' हैं, इन्हें गठबंधन में कोई जगह नहीं मिलने वाला. ये जान गये हैं कि चुनाव हारने वाले हैं इसलिए महागठबंधन में आना चाहते हैं ताकि इनकी राजनीति जिंदा रहे. हम के प्रवक्ता ने कहा कि ये लोग दलित विरोधी हैं. हमलोगों ने 20 सीटों पर अच्छे ढ़ंग से तैयारी कर रखी है इसमें से जिनती सीटें मिलेंगी उतने पर हमलोग लड़ेंगे. सीट बटवारे को लेकर गठबंधन में कोई उलझन नहीं है.


दरअसल बिहार में कांग्रेस पार्टी हर उस नेता को अपनी ओर लाने की जी जान से कोशिश कर रही है जिसका जातीय आधार मजबूत हो. आरजेडी, लेफ्ट पार्टी और जीतन राम मांझी की पार्टी हम को लेकर महागठबंधन के आधार को और बड़ा बनाने के लिए आरएलएसपी को न्योता दे दिया है. हालांकि उपेन्द्र कुशवाहा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन आरजेडी को उम्मीद है कि वो शामिल होंगे.


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