नई दिल्ली: वैसे तो जीतन राम मांझी का कोई व्यापक जनाधार नहीं है लेकिन चुनाव के वक्त उनका रुख उनका भाव बढ़ा देता है. एक बार फिर से मांझी मूड में हैं और महागठबंधन की गांठ खोलने की कोशिश में जुट गये हैं. मंगलवार को पटना में मांझी ने कोर ग्रुप की बैठक बुलाई थी और इस बैठक में उन्होंने साफ कह दिया कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से कम सीट पर बात नहीं बनेगी.


सीटों को लेकर महागठबंधन में कोई फैसला तो नहीं हुआ है लेकिन चर्चा ये है कि मांझी को महागठबंधन में एक सीट मिलने वाली है. जबकि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को तीन सीटें मिल सकती हैं. कुशवाहा खुद काराकाट से लड़ेंगे, जबकि उनकी पार्टी के प्रवक्ता माधव आनंद का नाम पूर्वी चंपारण सीट से लगभग तय है. तीसरी सीट सीतामढ़ी की भी हो सकती है. वैसे जब कुशवाहा एनडीए में थे तब उन्हें दो सीट मिल रही थी. पाला बदलने के बाद एक सीट की बढ़ोतरी दिख रही है लेकिन जो माहौल उन्होंने वहां नीतीश को लेकर बनाया था वही माहौल यहां मांझी उनको लेकर बना रहे हैं.


चर्चा है कि मांझी को लड़ने के लिए गया की सीट मिल सकती है. इसके अलावा किसी और नाम पर चर्चा भी नहीं है. इसी नाराजगी में प्रदेश अध्यक्ष वृषण पटेल पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. पटेल साहेब को मुंगेर से लड़ने की इच्छा थी लेकिन ये सीट कांग्रेस के खाते में जाने की ज्यादा संभावना है. मांझी की पार्टी में उनके अलावा महाराजगंज से महाचंद्र सिंह, मुजफ्फरपुर से अजीत कुमार और नवादा से अनिल कुमार भी इच्छुक हैं. लेकिन किसी को टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है और हो सकता है इसी नाराजगी में पार्टी के दो चार विकेट गिर भी जाएं. इसी वजह से मांझी ने माहौल बनाना शुरू कर दिया है.


मांझी के लिए अच्छा ऑफर एनडीए से भी मिलने की उम्मीद है. वैसे भी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय उन्हें बुलावा भेज चुके हैं. जेडीयू के महेश्वर हजारी ने महागठबंधन में मांझी के अपमान का राग छेड़ दिया है. यानी मांझी के सामने एनडीए ने थाली परोस दी है और ज्यादा दबाव बनाने के लिए महाचंद्र सिंह को कहीं से लड़ने का ऑफर भी दिया जा सकता है.


इस वक्त महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, हम, आरएलएसपी, वीआईपी और एलजेडी जैसी पार्टियां हैं. इनके अलावा लेफ्ट, पप्पू यादव की पार्टी भी महागठबंधन में स्कोप देख रही है. आरजेडी 20 सीटों पर लड़ने की बात कह रही है. अगर पार्टी अपनी बात पर अड़ी रही तो फिर बाकी तमाम दलों के लिए 20 सीटें बचेंगी. इसमें सबसे ज्यादा परेशानी कांग्रेस के लिए है क्योंकि कांग्रेस जिस तरीके से उम्मीदवार जमा कर रही है उससे माहौल उसके अकेले लड़ने का ज्यादा दिख रहा है.