नई दिल्ली: करीब एक दशक से ज्यादा समय तक अपराध की दुनिया में सक्रिय रहे बिहार के कुख्यात गैंगस्टर संतोष झा की गोली मार कर हत्या कर दी गई. आज सीतामढ़ी जिले में कोर्ट में पेशी के दौरान अपराधियों ने उसकी गोली मार कर हत्या कर दी. इस मामले में पुलिस ने एक हमलावर को गिरफ्तार किया है.


संतोष झा 26 दिसबंर 2015 को दरभंगा जिला में दो इंजीनियर की हत्या के मामले में सश्रम आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा था. उसे हथियार कानून के तहत 2016 के सीतामढी थाना प्रकरण संख्या 448 के सिलसिले में आज मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सरोज सिन्हा की अदालत में पेशी के लिए लाया गया था.


इस वारदात में घायल आदेशपाल संतोष कुमार सिन्हा को इलाज के लिए एक प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया है. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम जिला सदर अस्पताल में कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस हत्या मामले में मोतिहारी निवासी विकास को गोलियों से भरी पिस्तौल के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अदालत और कैदियों की सुरक्षा में हुई चूक की जांच कर लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.


बता दें कि हत्या के एक मामले में संतोष झा फिलहाल जेल में था. बहुत कम समय में ही संतोष झा ने अपराध की दुनिया में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था. शिवहर जिले के पुरनहिया थाने का रहने वाला संतोष झा पहले नक्सली था. लेकिन बाद में धीरे धीरे उसने अपने गिरोह का विस्तार किया और गैंगस्टर बन गया. सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, गोपालगंज, मधुबनी, दरभंगा और समस्तीपुर जिलों में उसने अपना जाल फैला रखा था. पहले वो खुद को नक्सली बताकर वारदात को अंजाम दिया करता था.


2010 में जिला पार्षद नवल राय की हत्या के बाद संतोष झा का नाम अपराध की दुनिया में उभरा था. 2010 के अक्टूबर महीने में विधानसभा चुनाव के दौरा लैंड माइंस बिछाकर इसने 5 पुलिस वालों की हत्या कर दी थी. इसके बाद उसने एक के बाद एक कई वारदात को अंजाम दिया. गोपालगंज, बेलसंड, सीतामढी में रोड कंस्ट्रक्शन का काम करने वाली कंपनियों को इसने निशाना बनाना शुरू कर दिया.


2004 में पहली बार संतोष झा को हथियारों के साथ पटना पुलिस ने गिरफ्तार किया था. करीब तीन साल जेल में रहने के बाद जब वो रिहा हुआ तब उसने कई हत्याकांड को अंजाम दिया. शुरू से ही उसके निशाने पर रोड कंस्ट्रक्शन निर्माण कंपनियां रहीं.