पटना: बिहार में मानसून दस्तक दे चुका है लेकिन हर सियासी दल के भीतर का माहौल गरम है. इस मानसून की बारिश में ये पता चल जाएगा कि एनडीए और महागठबंधन के सभी दलों की छत और दीवारें कितनी मज़बूत हैं. 26 जुलाई को नीतीश की अगुआई में बनी एनडीए सरकार के बिहार में एक साल पूरे हो जाएंगे. ये कई मायनों में खास है.


8 जुलाई को जेडीयू का राष्ट्रीय अधिवेशन दिल्ली में होना है. नीतीश कुमार जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने ये बैठक दिल्ली में ही बुलाई है. ज़ाहिर है ये दो दिवसीय बैठक कहने को तो रूटीन बैठक होगी लेकिन इस बैठक में अहम फैसले लिए जांएगे. संभावना ये भी है कि आगे गठबंधन को लेकर नीतीश कुमार कोई फैसला लें.


ठीक चार दिन बाद यानि 12 जुलाई को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सरकार बनने के बाद पहली बार बिहार आएंगे. नीतीश कुमार और अमित शाह की मुलाकात भी होनी है. सूत्रों के अनुसार ये बैठक स्टेट गेस्ट हाउस में हो सकती है जहां दोनों दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों के बीच सीटों और आगे को रणनीति पर ठोस बातें तय हो सकती है.


इसके बाद 20 जुलाई से बिहार विधान सभा के मानसून सत्र की शुरुआत होगी जो 26 जुलाई तक चलेगी. 26 जुलाई को एक और खास घटना होगी. तेजस्वी यादव पर आईआरसीटीसी मामले में चार्जशीट दाखिल तो हो गया है लेकिन कोर्ट की तरफ से संज्ञान नहीं लिया गया है. सीबीआई को 26 जुलाई तक तकनीकी कमी को पूरी कर सीबीआई कोर्ट में दस्तावेज़ दाखिल करने हैं. 26 जुलाई को चार्जशीट दाखिल करने के तय 90 दिन पूरे हो जाएंगे और तब कोर्ट पर निर्भर करेगा कि वो संज्ञान ले या न ले. ऐसे में तेजस्वी यादव का भी भविष्य तय होगा.


दूसरी तरफ कांग्रेस नेता शकील अहमद, फिर सुदर्शन और तौसीफ आलम ने तेजस्वी यादव के एकतरफा मुख्यमंत्री बनाने के एलान को मुद्दा बना लिया है. नीतीश कुमार को साथ लेकर चलने की बात विधायक खुल कर बोलने लगे हैं. महागठबंधन में भी नीतीश कुमार को लेकर दरारें बढ़ रही हैं तो एनडीए में नीतीश चहरे और सीटों के बंटवारे पर अड़े हुए हैं. इस अड़ियल रवैये से सब परेशान हैं कि आखिर नीतीश क्या करेंगे?


नीतीश कुमार की रणनीति साफ है कि वे सीट और चहरे पर कोई समझौता नहीं करेंगे क्योंकि बिहार में उनकी साख है और उसपर कोई बट्टा नहीं लगने देंगे. अगर एनडीए छोड़ने की नौबत आ गई तो कांग्रेस से कोई दूरी नहीं लेकिन आरजेडी के साथ सीधे जाने में हिचक है. ये सब बातें कयासों के आधार पर ही हैं लेकिन इतना तो तय है कि इस महीने या तो बातें सुलझ जाएंगी या फिर उठा पटक की शुरुआत हो जाएगी.