बिहार विधान परिषद के लिए चुनाव की तारीख की घोषणा, जानिए कब होगी वोटिंग, कब आएंगे नतीजे
उम्मीदवारों के नॉमिनेशन वापसी के लिए अंतिम तिथि 29 जून निर्धारित की गई है और वोटिंग के लिए 6 जुलाई की तारीख तय की गई है.
पटना: बिहार विधान परिषद की 9 सीटों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, ऐसे में निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव शेड्यूल जारी कर दिया गया है. चुनाव आयोग की ओर से उम्मीदवारों के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. 18 जून से नामांकन का काम शुरू होगा. उम्मीदवारों के नॉमिनेशन की अंतिम तारीख 25 जून है. उसके बाद उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच प्रक्रिया के लिए 26 जून की तारीख तय की गई है. इस दिन ही जिनके सारे कागजात सही होंगे उन्हें उम्मीदवार के रूप में शामिल किया जाएगा.
वहीं उम्मीदवारों के नॉमिनेशन वापसी के लिए अंतिम तिथि 29 जून निर्धारित की गई है और वोटिंग के लिए 6 जुलाई की तिथि निर्धारित की गई है. उस दिन सुबह 9 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक वोटिंग किया जा सकता है. उसी दिन सभी वोटों की काउंटिंग भी होगी और 8 जुलाई को रिजल्ट घोषित किया जाएगा.
बिहार में किन सीटों पर होंगे चुनाव
बिहार में विधानसभा कोटे से परिषद के लिए जिन सीटों पर चुनाव होने हैं उनके सदस्यों का कार्यकाल 6 मई को ही खत्म हो गया था. इनमें जेडीयू के मंत्री अशोक चौधरी, पी के शाही, सतीश कुमार, विधान परिषद के कार्यकारी सभापति मोहम्मद हारून रशीद हीरा प्रसाद बिंद, सोने लाल मेहता, बीजेपी के संजय मयूख, राधा मोहन शर्मा, कृष्ण कुमार सिंह हैं.
चुनाव का अंक गणित
विधान परिषद में नौ खाली सीटों को भरने के लिए विधान सभा में पार्टी के विधायकों की संख्या मायने रखती है. इन नौ सीटों के लिए एक उम्मीदवार को अपनी पार्टी के 25 विधायक का समर्थन चाहिए. ऐसे में आरजेडी के पास 80 विधायक हैं, जेडीयू के 70, बीजेपी के 54, कांग्रेस के 26, सीपीआई- एमएल के 03, एलजेपी के 02 , जीतन राम मांझी की पार्टी हम के पास 01 विधायक, निर्दलीय 05, अन्य 1, और एक सीट खाली है.
बिहार विधानसभा कोटे के विधान परिषद के 9 सीटों पर चुनाव होने हैं जिसमें विधायकों की संख्या के आधार पर आरजेडी के 3,जेडीयू के 3,बीजेपी 2 और कांग्रेस के कोटे में एक सीटें जानी तय हैं. बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने दावा किया कि उनके संपर्क में आरजेडी और कांग्रेस के कई विधायक हैं. सवाल यह है कि की क्या इस चुनाव में ऐसे विधायक अपना पाला बदलेंगे. अगर ऐसा हुआ तब ही चुनाव संभव है नहीं तो सबके उम्मीदवार निर्विरोध जीत जाएंगे.