बिहार में 'चमकी' बुखार का कहर जारी, पिछले चौबीस घंटे में आठ और बच्चों की गई जान, अब तक 57 की मौत
बिहार में चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या 57 हो गई है. पिछले चौबीस घंटे में आठ और बच्चे काल के गाल में समा गए.
पटना: मुजफ्फरपुर में बच्चों पर चमकी बुखार का कहर जारी है. दिमागी बुखार से पिछले चौबीस घंटे में आठ और बच्चों की मौत हो गई है. अब तक कुल इस महीने में 57 बच्चों की जान जा चुकी है. बता दें कि इससे पहले गुरुवार को मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद सिंह ने कहा था कि मुजफ्फरपुर और इसके आस-पास के इलाकों में भयंकर गर्मी और उमस की वजह से बच्चे एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम यानी कि चमकी बुखार के ये बच्चे शिकार हो गए हैं.
वहीं राज्य सरकार मौत का कारण दिमागी बुखार नहीं बता रही है. सरकार का कहना है कि अधिकतर मौत का कारण हाईपोग्लाइसीमिया है, यानी लो ब्लड शुगर. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि हाईपोग्लाइसीमिया इस बुखार का ही एक भाग है.
राज्य और केंद्र सरकार परेशान
लगातार बच्चों की जान जाने से राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों परेशान है. मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज के अधीक्षक डॉ. सुनिल शाही ने बताया कि हालात का जायजा लेने बुधवार को दिल्ली से आयी केंद्रीय टीम गुरुवार को पटना लौट गयी और यह अब टीम अपनी रिपोर्ट सौपेंगी.
वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्थिति पर चिंता जाहिर की है और स्वास्थ्य विभाग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र और अस्पताल मामलों से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करें.
वहीं बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार ने कहा, "हमें केंद्रीय टीम से कुछ दिशानिर्देश मिलने की उम्मीद है. अधिकांश मौतें हाइपोग्लाइसीमिया के कारण हुईं. इनमें से कुछ मरीज सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली और पूर्वी चंपारण जिलों से हैं."
क्या है चमकी बुखार
एईएस (एक्टूड इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफलाइटिस) को उत्तरी बिहार में चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है. इससे पीड़ित बच्चों को तेज बुखार आता है और शरीर में ऐंठन होती है. इसके बाद बच्चे बेहोश हो जाते हैं. मरीज को उलटी आने और चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी रहती है.
यह भी देखें