राष्ट्रीय स्तर पर तैराकी में जीते थे कई पदक, अब पटना में चाय बेचने को है मजबूर यह खिलाड़ी
गोपाल प्रसाद यादव ने कभी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का तैराक बनने का सपना देखा था. उनकी घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी और इस वजह से परिवार की देखभाल के लिए अब उन्हें चाय बेचनी पड़ रही है.
नई दिल्ली: एक खिलाड़ी देश के लिए अपना सबकुछ लगाकर मेहनत करता है और मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करता है लेकिन बाद में वहीं गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाता है. जिसपर कभी देश गर्व करता है वही खिलाड़ी एक वक्त ऐसा आता है जब पाय-पाय का मोहताज हो जाता है. वह भ्रष्टतंत्र के आगे हार जाता है. जी हां..ऐसी ही कहानी है बिहार के गोपाल यादव की भी.
दरअसल बिहार के गोपाल यादव राष्ट्रीय स्तर के तैराक रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं, लेकिन आज देश का यही सम्मानित खिलाड़ी बिहार की राजधानी पटना में अपना और परिवार का पेट पालने के लिए चाय की दूकान चलाता है. गोपाल यादव का कहना है कि उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए कई बार कोशिश की लेकिन हर किसी ने उनसे रिश्वत की मांग की और इस वजह से उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिली. गोपाल यादव ने आगे कहा कि उनके दो बेटे हैं और दोनों बेहतरीन तैराक हैं, लेकिन खराब स्थिति को देखकर बच्चों ने तैराकी छोड़ दी.
Bihar:National level swimmer Gopal Yadav,who had won several medals,runs tea shop in Kazipur,Patna,to make a living,says,'I had applied at few places for job but everyone wanted bribe.I have 2 sons,both are good swimmers but they gave up swimming after seeing my condition'(20.11) pic.twitter.com/wT9SvVM0ZK
— ANI (@ANI) November 20, 2019
गोपाल जो चाय की दूकान चलाते हैं उसका नाम 'नेशनल तैराक टी स्टॉल' है. गोपाल यादव ने 1987 में पहली बार बिहार को तैराकी में राष्ट्रीय स्तर पर रिप्रेजेंट किया. इसके बाद 1988 और 1989 में भी राज्य को उन्होंने रिप्रेजेंट किया. 1988 में दानापुर में 100 मिटर बैकस्ट्रोक प्रतियोगिता में उन्होंने पहला स्थान हासिल किया था.
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