पटना: शुक्रवार को बिहार में नीतीश कुमार की कैबिनेट ने अपने पुराने बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 में मध्यावधि संशोधन किया. इसमें मुख्य रूप से फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में वेयरहाउसिंग कोल्ड चेन और बोटलिंग इकाइयों को प्राथमिकता वाली सूची में रखा गया है. स्मॉल मशीनरी मेन्युफेक्चरिंग को प्राथमिकी सेक्टर में लिया गया है. इसमें कृषि उपकरण निर्माण और गैर कृषि मशीनरी का निर्माण शामिल है.


इसके साथ ही आईटी इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में इलेक्ट्रिकल गुड्स निर्माण को जोड़ा गया है. लकड़ी आधारित उद्योग को पहली बार औद्योगिक नीति में शामिल कर प्राथमिकता क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया. कागज, दियासलाई, टिंबर और लकड़ी चीरने का काम, प्लाइवुड और वेनियर निर्माण, बांस पर आधारित उद्योग, पार्टिकल बोर्ड और फाइवर बोर्ड को शामिल किया गया है.


इसके अलावा एमएसएमई क्लस्टर का निर्माण किया जाएगा. पब्लिक सेक्टर यूनिट को भी क्लस्टर निर्माण का कार्य दिया गया है. छोटे उद्योग स्थापित करने का ज़िम्मा दिया जाएगा. प्राइवेट इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने के लिए कोई भी निजी कंपनी आ सकती है. पीएसयू के साथ ज्वाइंट वेंचर में काम वाले को विशेष पैकेज मिलेगा. निवेश को आकृष्ट करने के लिए बिहार लौटे श्रमिकों को रोक रखने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा. इसके लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कमिटी गठित की गई है. डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रियल इनोवेशन प्रोजेक्ट लागू किया जाएगा. इसके लिए हर जिले को पचास लाख रुपये दिया गया है.


परचेज पॉलिसी के तहत में राज्य की औद्योगिक इकाई पहचान कर उनसे ही खरीदारी  करने वालों को प्रमुखता मिलेगी. यानि बिहार में लगे यूनिट से सरकारें भी समान खरीदेंगी और उनकी योग्यता को शिथिल किया जाएगा ताकि उनके सामानों की खरीद आराम से हो सके.


उद्योग मंत्री श्याम रजक इस नीति में बदलाव से काफी उत्साहित हैं. श्याम रजक ने कहा कि इस औद्योगिक नीति के बाहर से आने वाली कम्पनी का बिहार लाने में मशीन का ट्रांसपोटेशन खर्च जो भी होगा उसका अस्सी फीसदी तक राज्य सरकार पेमेंट करेगी. बाहर से आने वालों के लिए कामगार जो लौटे हैं और कोई इकाई लगाते हैं तो उन्हें विशेष अनुदान पैकेज देगी. परचेज नीति से बिहार सरकार के अन्य या सभी कार्यालयों में यहां के निर्मित सामानों की खरीदारी अनिवार्य होगी.


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