बिहार: शराब के बाद अब खैनी की बारी, नीतीश सरकार कर रही है बैन लगाने की तैयारी
बिहार के समस्तीपुर जिले का तंबाकू सरैसा के नाम से दुनियाभर में मशहूर है. यहां 15 से 20 हजार हेक्टेयर जमीन पर तंबाकू की खेती की जाती है. खैनी की फसल यहां इसलिए होती है क्योंकि इसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है.
नई दिल्ली: शराब के बाद अब बिहार में खैनी पर बैन लगाने की तैयारी है. ये एक तरह का तंबाकू होता है जो कि पेड़ के पत्ते से बनता है. खैनी का नशा और लत भी कम बुरी चीज नहीं होती. वैसे तो खैनी देशभर में खाई जाती है लेकिन इस पर प्रतिबंध लगाने की शुरुआत बिहार से होने जा रही है. बिहार खैनी के लिए कुख्यात है. खैनी की धमक ऐसी थी कि इस पर बॉलीवुड में गाने तक बन गए. 70 के दशक में आयी फिल्म 'शोले' के गब्बर सिंह खैनी खाते हुए दिखता है. बिहार की राजनीति के बड़े बड़े नाम भी सार्वजनिक तौर पर खैनी घिसते देखे गए हैं. लालू यादव से शरद यादव तक बिहार में राजनेता भी खैनी रगड़ने से दूर नहीं रहे.
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि बैन लगाने का अधिकार बिहार को नहीं है. जनता से अपील कम कर दे. दरअसल बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने गुटखा-पान मसाला की तरह खैनी को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानकर इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया है. देश में खाने-पीने की चीजों को लाइसेंस देने वाली फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी एफएसएसएआई से इसे फूड प्रोडक्ट की सूची में डालने का प्रस्ताव भेजा जाएगा.
भारत सरकार के अधीन आने वाले एफएसएसएआई अगर इसे खाद्य पदार्थ की सूची में डालेगा तो खैनी खरीदने-बेचने के साथ इसके खाने पर भी रोक लगाई जा सकेगी. बिहार में खैनी के इतने जनप्रचलित होने के बावजूद सरकार ने उनके प्रतिबंध की एक वजह है जो खुद बिहार के स्वास्थ्य मंत्री बताते हैं. उन्होंने बताया कि बिहार में हाल के दिनों में खैनी खाने वालों की तादाद में सबसे ज्यादा कमी आई है. इसी से उत्साहित होकर सरकार ने कदम उठाने के बारे में सोचा है. उन्होंने कहा, ''पिछले कुछ सालों में कोशिश की...तंबाकू खाने वालों का प्रतिशत 54 था. जनजागृति के कारण सर्वाधिक गिरावट 26 फीसदी बिहार में आई.''
वैसे पांच साल पहले 2013 में इसी नीतीश सरकार ने खैनी को टैक्स कैटगरी से हटा दिया था. क्योंकि किसानों ने शिकायत थी कि खैनी जिन तंबाकू के पत्तों से तैयार होती है उन पर टैक्स न चुकाने की वजह से किसानों की फसल को टैक्स विभाग जब्त कर रहा है. लेकिन अगले साल 2014 में जब जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने तंबाकू पर तीस फीसदी टैक्स लगा दिया था. लेकिन खैनी को टैक्स में छूट दे दी थी.
लेकिन अब सरकार का दावा है कि जागरूकता से बिहार जल्द ही खैनीमुक्त होगा. हालांकि बिहार में जेडीयू के साथ सरकार चला रही बीजेपी के नेता गिरिराज सिंह चुटकी में मसलने वाली खैनी पर चुटकी ले रहे हैं. उन्होंने कहा, ''मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाह रहा हूं. मैं केवल इतना कह रहा हूं कि एक कहानी है कि गांधीजी के पास कोई आया था कि मेरा बेटा बहुत गुड़ खाता है तो पहले उन्होंने गुड़ छोड़ा तब कहा.''
जानना जरूरी
- देश में हर नौवां आदमी खैनी खाता है.
- पूरे देश में 10 करोड़ 40 लाख लोग खैनी रगड़ते हैं.
- खैनी खाने वालों में बिहार नंबर वन है. 1 करोड़ 21 लाख लोग खैनी खाते हैं.
- दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है. यहां 99 लाख लोग खैनी का सेवन करते हैं.
- आपको शायद ये जानकर हैरानी होगी कि देशभर में खैनी खाने वालों में 1 करोड़ 90 लाख महिलाएं भी हैं.
बिहार के समस्तीपुर जिले का तंबाकू सरैसा के नाम से दुनियाभर में मशहूर है. यहां 15 से 20 हजार हेक्टेयर जमीन पर तंबाकू की खेती की जाती है. खैनी की फसल यहां इसलिए होती है क्योंकि इसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है. बाकी फसलों में जहां ज्यादा पानी की जरूरत होती है तंबाकू में कम पानी से काम चल जाता है.
- देश में तंबाकू की खेती करने वाला बिहार छठा सबसे बड़ा राज्य है.
- समस्तीपुर, वैशाली, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और सीतामढ़ी में सबसे ज्यादा तंबाकू की फसल होती है.
- इसका भाव 70 रुपये से 200 रुपये किलो के बीच में होता है.
- तंबाकू के पत्ते खेत से निकालकर उन्हें पैक किया जाता है फिर उसे काटकर खैनी तैयार हो जाती है.
समस्तीपुर की खैनी बिहार, बंगाल से लेकर दिल्ली-मुंबई और यूपी-पंजाब तक जाती है. अब खैनी के बिजनेस से जुड़े लोग कह रहे हैं इस पर प्रतिबंध लग गया तो दूसरा क्या काम करेंगे.
बिहार में चालीस फीसदी कैंसर तंबाकू चबाने से ही होते हैं. इसमें भी 80 फीसदी मुंह का कैंसर होता है. खास तौर पर उत्तरी बिहार में यह ज्यादा होता है. फिर भी नीतीश कुमार के फैसले का विरोध हो रहा है. देश में हर साल तंबाकू खाने से 12 लाख लोगों की मौत हो जाती है. तंबाकू से ही 28 तरह के कैंसर होते हैं. इसके बावजूद नीतीश के फैसले में शराबबंदी के फैसले की कमियां गिनाई जा रही है.