पटना: बिहार की सियासत में 2019 चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. इस हलचल को नीतीश कुमार के एक फोन कॉल ने और तेज कर दिया है. नीतीश ने मुंबई के अस्पताल में भर्ती लालू यादव को फ़ोन करके उनकी तबियत का हाल पूछा लेकिन इस फ़ोन कॉल ने बिहार की राजनीति में गर्माहट ला दी है. ये गर्माहट नीतीश कुमार के फिर से पलटी मारने को लेकर है. बिहार में जेडीयू-बीजेपी के बीच 'बड़े भाई' के नाम पर ज़्यादा सीटों पर दावेदारी की इस लड़ाई के बीच नीतीश कुमार का लालू यादव को फ़ोन करना कई सवाल खड़े करता है. क्या वाक़ई नीतीश और लालू के बीच कुछ पक रहा है, जेडीयू तो फ़िलहाल इससे इंकार कर रही है.
नीतीश कुमार के लिए महागठबंधऩ के रास्ते हमेशा के लिए बंद: तेजस्वी यादव
नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने की संभावनाओं को आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पहले ही ख़ारिज कर चुके हैं. तेजस्वी यादव ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन के रास्ते हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं. तेजस्वी तो यहां तक कह चुके हैं कि अगर उन्होंने नीतीश कुमार के साथ फिर से हाथ मिलाया तो बिहार की जनता उन्हें माफ़ नहीं करेगी.
राजनीति में संभावनाएं बनीं रहती है, दरवाजे कभी बंद नहीं होते: कांग्रेस
एक तरफ़ तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद होने की बात कर रहे हैं तो वहीं महागठबंधन में उनकी सहयोगी कांग्रेस नीतीश कुमार के ऊपर लगातार डोरे डाल रही है. पहले कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने विभिन्न मुद्दों पर नीतीश कुमार को महागठबंधन में शामिल होकर एनडीए के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने का निमंत्रण दिया. वहीं अब बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष कौक़ब क़ादरी ने ये कहकर नीतीश की वापसी के क़यासों को यह कहते हुए और बल दे दिया कि राजनीति में सम्भावनाएं हमेशा बनी रहती हैं और दरवाज़े कभी बंद नहीं होते.
इतना ही नहीं कौक़ब क़ादरी ने तेजस्वी के नीतीश की वापसी पर नकारात्मक रवैए को भी बैठकर बात करके सुलझाने की बात कही. बीजेपी-जेडीयू के बीच चालू इस रस्साकसी के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अगले महीने बिहार दौरे पर आने वाले हैं.
तेजस्वी के लिए नीतीश दावेदारी छोड़ दें ये नामुमकिन
बिहार में 2015 की जीत को दुहराने के लिए महागठबंधन को जेडीयू की सख़्त ज़रूरत है और ये बात आरजेडी और कांग्रेस बख़ूबी जानते हैं. माना जाता है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव नीतीश कुमार के महागठबंधन में वापस आने के पक्षधर हैं लेकिन तेजस्वी यादव अब नीतीश कुमार को बतौर मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहते. तेजस्वी यादव की पहली शर्त यही है कि महागठबंधन में शामिल सभी दल तेजस्वी को ही महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का दावेदार समझें लेकिन नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के लिए अपनी दावेदारी छोड़ दें, ये लगभग नामुमकिन है. इसलिए इस बात की सम्भावना फ़िलहाल बहुत कम है कि नीतीश कुमार वापस महागठबंधन में शामिल होंगे.
नीतीश के बोले एक-एक शब्द के अपने सियासी मायने हैं
पिछले साल भ्रष्टाचार के मुद्दे पर महागठबंधन को ठेंगा दिखाकर एनडीए का दामन थामने वाले नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. उनके बोले हुए एक-एक शब्द के अपने सियासी मायने होते हैं. इसीलिए पिछले एक महीने के दौरान नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू के बयान देखकर बिहार में किसी बड़ी राजनीतिक हलचल के क़यास लगाए जा रहे हैं. जहां इस दौरान नीतीश कुमार केंद्र सरकार की कई योजनाओं की मंच से आलोचना करते हुए दिखे, वहीं जेडीयू प्रवक्ताओं और नेताओं की आगामी चुनावों में सीटों के बंटवारे पर बयानबाज़ी एनडीए गठबंधन में खटपट की ओर इशारा करती है.
जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने इसे शिष्टाचार बातचीत बताते हुए नीतीश कुमार के वापस महागठबंधन में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश तो की लेकिन साथ ही कांग्रेस के नीतीश को महागठबंधन में शामिल होने के निमंत्रण पर धन्यवाद भी दे डाला.