पटना: नीतीश कुमार की सरकार में कैबिनेट मंत्री महेश्वर हज़ारी ने अपना दर्द बयां किया है. उन्होंने कहा कि मंत्री होने के बावजूद भी वो दलित होने का दंश झेल रहे हैं. पटना में भवन निर्माण मंत्री का दर्द उस वक्त छलक आया जब उनसे पूछा गया कि बीजेपी नेता और राज्य सभा सांसद सी पी ठाकुर ने आरक्षण के लाभ लेने पर सवाल उठाए हैं. सीपी ठाकुर ने कहा कि जिसे आरक्षण का लाभ मिल गया उसे आरक्षण नहीं मिलना चाहिए. उधर आरक्षण के मुद्दे पर सी पी ठाकुर की राय को व्यक्तिगत राय कहकर पार्टी ने पल्ला झाड़ लिया है.
महेश्वर हजारी ने कहा की वो खुद सांसद और विधायक रहे हैं. यहां तक कि उनके पिता भी सासंद रहे लेकिन आज भी समाज में उन्हें नीची निगाह से ही देखा जाता है. हजारी ने कहा कि संविधान में जो भी प्रावधान है उसी हिसाब से आरक्षण मिल रहा है. दलितों में आशंका है को बीजेपी आएगी तो आरक्षण के मामले में संविधान में छेड़छाड़ करेगी.
आपको लग रहा है कि बीजेपी आरक्षण खत्म करना चाहती है और संविधान को बदलना चाहती है, इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने आर्थिक, समाजिक व शैक्षणिक आधार पर आरक्षण दिया था. समाजिक स्तर पर दलितों की आज भी वहीं स्थिति है, जो पहले थी. आज भी समाज में वो सम्मान नहीं मिल रहा है. कहीं न कही दलितों को शंका हो गई कि बीजेपी की सरकार हमें न्याय देने का काम करेगी या नहीं. जबकि प्रधानमंत्री जी ने लोकसभा में बिल लाकर एससी-एसटी एक्ट को पहले वाली स्थिति में लाने का काम किया. इसके बाद भी लोग शंका की निगाह से देखते हैं. मंत्री ने कहा कि हर जगह जनजागरण करके दलितों को समझाना पड़ेगा कि आरक्षण को कोई भी दल खत्म नहीं कर सकता है.
सीपी ठाकुर कह रहे हैं कि गरीब सवर्णों को भी आरक्षण मिलना चाहिए, इस पर महेश्वर ने कहा कि संविधान में जो लिखा है, उसी पर आरक्षण होगा. उसी आधार पर कोई भी दल फंडामेंटल राइट दिलाने के लिए समाज के लिए लड़ता है. मैं समझता हूं कि जिस समुदाय की जितनी जनसंख्या है, उस आधार पर आरक्षण का कोटा का फिक्स कर दिया जाए.
नेता, मंत्री, अधिकारी जिन्हें आरक्षण का लाभ मिल चुका है, उन्हें नहीं मिलना चाहिए. इस पर मंत्री ने कहा कि मैं स्वयं मत्री हूं. मैं एमपी, एमएलए बना, पिताजी भी थे. लेकिन जो सामाजिक स्तर पर प्रतिष्ठा मिलना चाहिए वो अभी भी नहीं मिला. आज भी उसी नजर से देखा जाता है जैसे आजादी के पहले देखा जाता था.