नई दिल्ली: बिहार के बेगुसराय में बीते शुक्रवार को एक लड़की के अपहरण के आरोप में भीड़ ने तीन युवकों की पिटाई कर दी. युवकों पर आरोप था कि वे 5 साल की एक लड़की की पूछताछ करते हुए उसके स्कूल पहुंचे थे. भीड़ को जब इन युवकों पर शक हुआ तो भीड़ ने इन युवकों को पीटना शुरु कर दिया. भीड़ की पटाई से एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई. पुलिस पर आरोप हैं कि पुलिस घटनास्थल पर ड़ेढ घंटे की देरी पहुंची. अभी तक इस पूरे मामले मे पुलिस ने किसी कि भी व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं की है.
बिहार में इस तरह भीड़ की गुंडागर्दी का और पुलिस की लापरवाही को ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले आरा मे भीड़ ने एक महिला को निर्वस्त्र करके सड़को पर घुमाया था. उस दौरान भी पुलिस पर आरोप लगे थे कि पुलिस मौके पर बहुत देर से पहुंची थी और जब तक पुलिस पहुंची भीड़ अपनी बर्बरता का स्तर पार कर चुकी थी.
'सुशासन बाबू' के बिहार में बढ़ता अपराध
बिहार पुलिस की तरफ से जारी किये गए आकंड़े ही राज्य सरकार पर कई पर सवाल उठा रहे हैं. बिहार पुलिस के मुताबिक 2018 में बिहार में मर्डर के 1521, अपहरण के 5168, रेप के 782, झपड़ के 5630, डकैती के 151, फिरौती के लिए अपहरण के 27 केस दर्ज हो चुके हैं. आकंड़ो के बाद बिहार के सरकार और प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं. पिछले दिनों जिस तरह बिहार के कई बड़े-बड़े शहरों से यौन शोषण के मामले सामने आए, उसने सरकार के साथ-साथ प्रशासन के दावों की भी पोल खोल दी. हाल-फिलहाल के मुज्जफपुर शेल्टर हाउस रेप कांड और बोधगया के बौद्ध मठ में 15 बाल लामाओं के साथ यौन शोषण की घटना ने सरकार पर सवाल खड़े कर दिए है.
अपराध पर बढ़ता सियासी पारा
सुशासन के नाम पर बिहार में आई नीतीश सरकार पर बढ़ते अपराध के कारण विपक्ष का चौतरफा हमला शुरू हो चुका है. विपक्ष सरकार पर हमला करते हुए इसे गुंडाराज कह रही है. बिहार के आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने एबीपी से बातचीत में कहा, "बिहार में कानून नाम की कोई चीज नहीं रही. सरकार और पुलिस का कानून व्यवस्था से नियंत्रण खोता जा रहा है. ये समझ नहीं आ रहा है कि सरकार बिहार को किस ओर धकेल रही है. बिहार में अराजकता का दौर रुकने का नाम नहीं ले रहा हैं. नीतीश सरकार ने बिहार में अभी महा जंगलराज की स्थिति बना दी है".
बिहार के कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि अगर नीतीश कुमार से बिहार नहीं सम्भल रहा तो सरकार इस्तीफ दे दें. बिहार में लोग अपने हाथ में कानून ले रहे हैं और इसका सीधा मतलब यही होता है कि लोगों का सरकार और पुलिस प्रशासन से भरोसा खत्म होता जा रहा है.
बढ़ते अपराध और उस पर गर्म होती सियासत ने आने वाले चुनावों में अपराध को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया है. आने वाले लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को भुना कर विपक्ष जहां वापस सत्ता की गद्दी की चाह कर रहा है, वहीं सरकार इससे उबरने की कोशिश कर रही है.