पटनाः बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत 20 लाख करोड़ के कोरोना राहत पैकेज में राज्यों की हिस्सेदारी निर्धारित करने की मांग की है. उन्होंने लिखा कि ऐसा नहीं करने से बिहार जैसे राज्यों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाएगा.
लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम श्रेणी के उद्यम के लिए तीन लाख करोड़ रुपये बिना गारंटी ऋण देने का पैकेज केंद्र सरकार ने घोषित किया है. बिहार में बैंकों का ऋण देने के मामले में काफी नकारात्मक रवैया रहा है, वहीं साख-जमा अनुपात भी दर्शाता है कि बिहार में बैंक उद्यमियों को कर्ज देने में हीलाहवाली करती है. लिहाज़ा, तीन लाख करोड़ में बिहार के उद्यमियों के लिए हिस्सेदारी तय नहीं होगी, तो यहां के उद्यमी लाभान्वित नहीं होंगे. इस राहत पैकेज का उद्देश्य सिद्ध नहीं होगा.
मंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण सबसे अधिक आर्थिक संकट और चुनौतियों से बिहार को जूझना पड़ रहा है. बड़ी तदाद में प्रवासी मज़दूर बिहार लौटें हैं, उनको रोजगार देने का निश्चय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है. लिहाज़ा, केंद्र 20 लाख करोड़ के पैकेज में बिहार जैसे राज्य के लिए अलग से कोष और हिस्सेदारी तय करे.
सूक्ष्म खाद्य उद्यमों का जिक्र करते हुए श्याम रजक ने लिखा, "बिहार में मखाना,मक्का, मगही पान, जर्दालु आम, शाही लीची, शहद और लाल आलू उत्तम गुणवत्ता के पाए जाते हैं. इनके माइक्रो फूड इंटरप्राइजेज के क्लस्टर डेवलपमेंट की जरूरत है. जिससे हम लोकल के लिए वोकल हो सकें और इसे ग्लोबल बना सकें." इसके अलावा उन्होंने बाढ़ और सूखाड़ से सबसे ज्यादा प्रभावित 15 जिलों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग के लिए लोन पर 2 फीसदी की आर्थिक सहायता देने की मांग की. उन्होंने लिखा कि इससे दूसरे शहरों में जाकर काम करने वाले बिहार के मजदूरों में कमी आएगी.
बिहार को उत्तर भारत में फूड प्रोसेसिंग हब बनाने के लिए जापानी उद्योग टाउनशिप के लिए बिहार पर भी विचार करने का आग्रह किया. उन्होंने लिखा, "यदि बिहार में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगते हैं तो यहां के बने माल को नेपाल, भूटान और बांग्लादेश आसानी से निर्यात किए जा सकते हैं. बिहार के पास उपजाऊ भूमि, प्रचूर जल संसाधन और कुशल और मेहनती लोग हैं. बिहार देशी और विदेशी कपनियों के लिए एक अच्छा डेस्टिनेशन है.इससे न सिर्फ राज्य को बल्कि निवेशकों को भी फायदा होगा."
इसके साथ ही उन्होंने मधुबनी पेंटिंग, खादी, रेशम और हस्तकरघा उद्योग पर ध्यान देने का आग्रह किया. उन्होंने लिखा, "यदि इनपर अच्छी तरह ध्यान देकर इन्हें सहायता पहुंचाई जाए तो इनका तेजी से विकास होगा और इससे घर वापस लौटे लाखों प्रवासी लोगों को रोजगार मिलेगा."
राज्य वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए विशेष प्राथमिकता दी जाए. देश में लगभग 1.5 करोड़ प्रवासी मजदूर बिहार के हैं. कोरोना वायरस महामारी के कारण इन सभी का रोजगार छिन गया और सभी अपने घर वापस आ गए हैं. इन सभी को रोजगार देने के लिए हमें विशेष सहायता राशि की जरूरत है.
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