नई दिल्ली: जाने माने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब जेडीयू का दामन थाम चुके हैं. बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने में प्रशांत किशोर ने अहम भूमिका निभाई थी. अब उनके पार्टी में आ जाने से जेडीयू को मजबूती मिलेगी. अब जब प्रशांत किशोर जेडीयू में शामिल हो चुके हैं तो उनके सामने सबसे बड़ा टास्क पार्टी को ज्यादा सीटें दिलाना होगा. जेडीयू की तरफ से प्रशांत किशोर बातचीत करेंगे.


बिहार में एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर पिछले दिनों जेडीयू और बीजेपी में तनातनी देखने को मिली थी. जेडीयू कभी खुद को 'बड़ा भाई' बता रहा था तो वहीं बीजेपी का कहना था कि कोई बड़ा या छोटा भाई नहीं होता. बड़े भाई छोटे भाई का खेल कुछ दिनों तक चला जिसके बाद दोनों दलों ने इससे किनारा कर लिया और कहा कि उनके नेता ही ये तय करेंगे. यहां तक कि खुद नीतीश कुमार ने कहा था कि सीट बंटवारे को लेकर कोई हड़बड़ी नहीं है.


लेकिन रविवार को प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में बड़े भाई की भूमिका में जेडीयू होगा. इसका सीधा मतलब ये हुआ कि जेडीयू को ज्यादा सीटे मिलनी चाहिए. उनका ये बयान काफी मायने रखता है. अब देखना होगा कि प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद बीजेपी और बिहार की बाकी सहयोगी दल क्या कहती है. फिलहाल कहा ये जा रहा है कि प्रशांत किशोर के जेडीयू में आने के बाद बीजेपी में भी हलचल है. प्रशांत ये भी कह चुके हैं कि सीट बंटवारे को लेकर एक सप्ताह से दस दिन के अंदर सीटों का फैसला हो जाएगा.


अब सवाल ये है कि जब जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में होगी तो सीटों का बंटवारा कैस होगा. क्या जेडीयू को ज्यादा सीटें मिलेंगी, अगर ऐसा हुआ तो बाकी एलजेपी और आरएलएसपी इसे स्वीकार करेगी. गौरतलब है कि सीट बंटवारे पर रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी पहले ही यह कह चुकी है कि इस बार नए तरह से सीटों का बंटवारा हो. ऐसे में आने वाले 10 दिन बिहार की राजनीति में बेहद अहम साबित होंगे और खासकर इस पर एनडीए के बाकी घटक दलों की प्रतिक्रिया क्या होती है ये देखना दिलचस्प रहेगा.