नई पार्टी बनाने के सवाल पर बोले प्रशांत किशोर- मैं न किसी के साथ खड़ा हूं और न किसी के विरोध में
पटना में पूर्व जेडीयू नेता प्रशांत किशोर ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस पीसी के दौरान उन्होंने नीतीश कुमार को कई मुद्दों पर घेरा. पीके ने इस दौरान नीतीश कुमार और बीजेपी पर जमकर हमला बोला.
पटना: चुनाव रणनीतिकार और पूर्व जेडीयू नेता प्रशांत किशोर पार्टी से निकाले जाने के बाद आज पहली बार मीडिया के सामने आए. पटना में आईपैक के ऑफिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रशांत किशोर बीजेपी समेत नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा. इस पीसी में प्रशांत ने नीतीश कुमार पर कई आरोप लगाए.
नहीं बना रहा कोई नई पार्टी नई पार्टी के सवाल पर पीके ने कहा, "मैं ना किसी के साथ खड़ा हूं और ना किसी के विरोध में, मुझे दस साल में ऐसे लोगों को जोड़ना है जो बिहार को नंबर दस में शामिल हो सके और जो इसे लीड करना चाहता है उसका स्वागत है. मैं कोई पॉलिटिकल पार्टी नहीं बना रहा हूं. जो भी बिहार का व्यक्ति ये समझता है कि जो बिहार को अगले दस सालों में समृद्ध बनाने के लिए काम करे तो मैं उसके साथ खड़ा हूं.नीतीश कुमार पितातुल्य- पीके
प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ही प्रशांत किशोर ने कहा, "नीतीश जी से मेरा विशुद्ध राजनीतिक संबंध नही रहा है.उन्होंने एक बेटे की तरह रखा है, दल में था तब भी और जब बाहर कर दिया तब भी.उनके सारे फैसले को हृदय से स्वीकार करता हूँ, मेरे मन जो आदर था वो अब भी है और आगे भी रहेगा."
नीतीश के साथ दो मतभेदप्रशांत किशोर ने कहा, "नीतीश कुमार ने मुझसे कहा था कि महात्मा गांधी, जेपी ,लोहिया को हम नहीं छोड़ सकते हैं. आप गांधी के विचारों को बता रहे हैं तो गोडसे के लोगों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं. आपको ये साफ करना होगा कि आप किसके विचारों के साथ है."
पीके ने कहा, "दूसरा मतभेद मेरा पार्टी को लेकर है. 2014 के नीतीश कुमार का ज्यादा सम्मान है. आज 16 एमपी लेकर है फिर भी वो शान नहीं रहा. मेरे लिए अच्छी बात नहीं है कि कोई (अमित शाह) नेता नहीं चाहता कि कोई कहे कि ये हमारा नेता हो ( बिहार में नीतीश कुमार). ये जनता का फैसला है और इन्हीं बातों को लेकर मतभेद रहा है. पर उनका कहना है कि राजनीति में समझौता करना पड़ता है, जहां बिहार के विकास की बात है तो अगर आपके झुकने के बाद अगर विकास हुआ है तो झुकने में परहेज नहीं."
झुकने से भी बिहार का भला नहींपीके ने कहा, " नीतीश कुमार के झुकने से क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला? एक छोटी सी यूनिवर्सिटी की मांग भी पूरी नहीं हुई. उनका ऐसा मानना है कि बिहार में बने रहने के लिए बीजेपी के साथ रहना जरूरी है. बिहार की जो स्थिति 2005 में जो थी दूसरे राज्यों की तुलना में आज भी वही स्थिति है. नीतीश जी ने साइकिल बांटने का काम किया, पोशाक बांटी लेकिन अच्छी शिक्षा नहीं दे सके. घर घर बिजली पहुंची पर बाहरी लेवल में देश में बिजली मामले में सबसे पिछड़े राज्य है. लोगों को एक पंखा और बल्ब के सिवा कुछ नहीं मिला. आज सबसे ज्यादा गरीब लोग बिहार में ही हैं. इन्होंने एक नॉर्मल विकास की प्रक्रिया के तहत विकास किया. 2005 में भी बिहार गरीब राज्य था आज भी वहीं पर है."
पीके ने कहा, "ये मेरा डाटा नहीं है. पिछले सरकार ने कुछ नहीं किया इसलिए जो भी हुआ वो दिखा. कोई ऐसा दिन आए कि गुजरात और सूरत से लोग बिहार काम करने आएं. बिहार में जब सशक्त राजनीतिक नेतृत्व होगा तब स्थिति बदलेगी. किसी के पीछे घूमने से बिहार विकसित नहीं बनेगा. चिकित्सा व्यवस्था में सुधार हुई पर स्थिति ये है कि आज भी लोग इलाज के लिए बाहर जा रहे हैं."
नेतागिरी नहीं बिहार के लिए काम करूंगाप्रशांत किशोर ने कहा, "मैं बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध हूं और मैं आगे भी बिहार के लिए लिए ही काम करूंगा. बिहार में वो राजनीतिक नेतृत्व खड़ा हो इसके लिए बात "बिहार की बात" शुरू कर रहा हूं जो दो दिन बाद शुरू की जाएगी, जिसमे देश में पहले दस राज्य में बिहार शामिल हो इसपर चर्चा होगी.
नीतीश को न्योता
पीके ने कहा, "बिहार को वही चला सकता है जो बिहार को बेहतर बना सके. अगर नीतीश कुमार शामिल हैं तो उनका स्वागत है. इसमे अभी साढ़े तीन लाख लोग शामिल हैं. इसके लिए एक वेबसाइट लॉन्च कर रहा हूं, जिसमे आपको सारे डिटेल मिल जाएंगे."
अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई दी
अपने आरोपों पर सफाई देते हुए पीके ने कहा, "कई लोग मुझे बिजनसमैन कहते हैं. कोई एक व्यक्ति बताए कि मैंने किसी से एक रुपया भी लिया है. पॉलिटिकल आईडियोलोजी की बात है तो मैं उसे बता दूं, मैं गांधी के विचारों से सहमत हूं. लेकिन उस चीज को राजनीतिक रूप में देखें तो वो अलग है. गांधी जी ने स्वराज की बात की तो सामाजिक हो गए. उन्होंने गौ हत्या का विरोध किया तो संघ के हो गए तो इन बातों को समझना होगा. मैं नीतीश कुमार को किसी का पिछलग्गू नहीं बता रहा पर आप तय करें 2014 के नीतीश कुमार और अभी के नीतीश कुमार में कौन सा नीतीश बेहतर है."
'किसी का एजेंट नहीं'
पीके ने कहा कि नीतीश कुमार ने जो भी कहा उसपर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. अगर वो 70 साल की उम्र में जो झूठ बोल रहे हैं और वो मुझे बेटा मानते हैं तो इस बात को मैं खुशी से गिफ्ट मान लेता हूं. मैं किसी का एजेंट नहीं हूं". पीके ने आगे कहा, "जो मैं आज कह रहा हूं यही बातें नीतीश कुमार के घर पर बैठकर की थीं. नीतीश कुमार बीजेपी से कई साल से जुड़ें हैं पर ये वही नीतीश कुमार हैं जो बीजेपी के साथ रहते नरेंद्र मोदी को बिहार आने से रोकते हैं और आज स्थिति ये है कि दो सीट के लिए गिड़गिड़ाते हैं. दोनों नीतीश कुमार में बहुत अंतर है. जिस नीतीश कुमार को जनता हूं वो गांधी के विचारों के साथ खड़े दिखे हैं पर अब वो गोडसे के पूजने वालों के साथ खड़े हैं."
बिहार में सीएए , एनआरसी, और एनपीआर नहीं हुआ लागू
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पीके ने कहा, "बिहार में सीएए, एनआरसी लागू नहीं होगा और नीतीश कुमार ने भी ये बात कही है. अगर होगा तो हम उसके विरोध में खड़े हैं.
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