पटना: कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के चुनाव नहीं लड़ने की अटकलों के बीच चर्चा इस बात की है कि पूर्वी चंपारण की सीट से उनका उत्तराधिकारी कौन होगा? राधा मोहन सिंह 70 साल के हो चुके हैं. समर्थक इन्हें 'चंपारण का गांधी' भी कहते हैं लेकिन पार्टी का आंतरिक सर्वे कहता है कि क्षेत्र में राधा मोहन की हालत इस बार ठीक नहीं है. लिहाजा उन्होंने समय और परिस्थिति को देखते हुए अगर ऐसा मन बनाया है तो शायद गलत नहीं बनाया है.
राधा मोहन सिंह पिछली बार त्रिकोणीय मुकाबले में जीते थे. उन्हीं की पार्टी के विधायक रहे भूमिहार जाति के अवनीश कुमार जेडीयू के उम्मीदवार बन गये थे. फिर भी मोदी लहर में राधा मोहन सिंह करीब दो लाख वोट से विजयी रहे.
इस बार अवनीश कुमार का तो पता नहीं लेकिन लालू यादव की पार्टी पूर्व विधायक और बाहुबली बबूल देव को टिकट दे सकती है. बबलू देव पहले जेडीयू में थे लेकिन बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन होने के बाद उन्होंने अपना भविष्य आरजेडी में तय कर लिया है.
वैसे बीजेपी यहां से बिहार के मंत्री और मधुबन से विधायक राणा रंधीर सिंह को टिकट दे सकती है. राणा रंधीर राजपूत जाति के ही हैं और इनके पिता सीताराम सिंह शिवहर से सांसद रहे हैं. अगर ये सीट पिछड़ी जाति के कोटे में गई तो दूसरी स्थिति ये हो सकती है कि शिवहर की सांसद रमा देवी को बीजेपी मोतिहारी शिफ्ट कर दे. इसकी उम्मीद कम है. ऐसे में मोतिहारी के मौजूदा विधायक और बिहार के मंत्री प्रमोद कुमार को मोतिहारी से पार्टी उतार सकती है.
मोतिहारी और शिवहर सटा हुआ इलाका है. शिवहर से अभी मोतिहारी की रहने वाली वैश्य समाज की रमा देवी सांसद हैं. तय है कि बीजेपी इस बार रमा देवी का भी टिकट काटेगी. एक तो 70 साल उम्र और दूसरा जीत की कम गुंजाइश को देखते हुए पार्टी इन पर दांव नहीं लगाने की तैयारी में है.
ऐसे में शिवहर की सीट सहयोगी पार्टी को भी दी जा सकती है. सूत्रों की माने तो वैशाली के मौजूदा सांसद रामा सिंह शिवहर से एनडीए की उम्मीदवारी चाहते हैं लेकिन पार्टी में परफॉर्मेंस को देखते हुए इनका पत्ता भी इस बार कट सकता है. चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा वैशाली से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में रामा सिंह शिवहर के लिए जोर लगा रहे हैं.
अगर रामा सिंह शिवहर पाने में नाकाम रहे तो नीतीश कुमार इस सीट पर दावा कर सकते हैं. जिस वक्त 1994 में समता पार्टी का गठन हुआ था उस वक्त शिवहर के सांसद हरि किशोर सिंह भी समता पार्टी में गए थे. ये सीट परंपरागत रूप से नीतीश कुमार के खाते की रही है. ऐसे में जेडीयू इस सीट पर बेलसंड की विधायक सुनीता सिंह चौहान पर दांव लगा सकती है. सुनीता सिंह चौहान भी राजपूत जाति से हैं. वैसे भी शिवहर को बिहार का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है. यानी इस सीट पर एक दो अपवाद छोड़कर राजपूत उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं. सुनीता सिंह के अलावा इनके पति राणा रंधीर सिंह चौहान भी शिवहर से एक दावेदार हो सकते हैं. पिछली बार नीतीश कुमार ने साबिर अली को टिकट दिया था जिन्होंने चुनाव से पहले लड़ने से मना कर दिया था. बाद में शाहिद अली खां को उतारा गया जो अब इस दुनिया में नहीं हैं.
अब तक के सियासी समीकरण को देखें तो किसी भी सूरत में शिवहर और मोतिहारी में से एक सीट पर एनडीए राजपूत उम्मीदवार को ही मौका देगा. जहां तक महागठबंधन की बात है तो शिवहर में महागठबंधन की ओर से लवली आनंद, अंगेश कुमार सिंह, अजीत कुमार झा, संजय गुप्ता जैसे दावेदार हैं. यानी टिकट बंटवारे का बहुत कुछ विपक्षी खेमे की रणनीति पर भी निर्भर करेगा.