पटना: बिहार की राजधानी पटना में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है. मौसम विभाग ने एक बार फिर राज्य के तमाम हिस्सों में भारी बारिश की आशंका जताते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग ने 3 और 4 अक्टूबर के लिए पटना, वैशाली, खगड़िया और बेगूसराय जिलों में भारी बारिश संबंधी अलर्ट जारी किया गया है. पटना में डीएम कुमार रवि ने सभी स्कूलों और अन्य शैक्षिक संस्थानों को बंद करने का आदेश जारी किया है.
पटना के बाढ़ प्रभावित इलाकों में लगातार राहत अभियान चलाए जा रहे हैं. इसके साथ ही तमाम हिस्सों में स्वयंसेवी संस्थाओं और सरकार की ओर से राहत सामग्री भी मुहैया कराई गई है. पटना और अन्य इलाकों में बारिश के बाद बदइंतजामी को लेकर नीतीश कुमार की सरकार सवालों के घेरे में है. शहर के पॉश माने जाने वाले इलाकों में कई फीट पानी इकट्ठा है. गली-मुहल्लों में नाव चल रही है.
विज्ञापन देकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दान देने की अपील की
वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज के अखबारों में विज्ञापन देकर लोगों से मुख्यमंत्री राहत कोष में खुलकर दान देने की अपील की है. नीतीश कुमार ने बाढ़ को प्राकृति आपदा बताते हुए लोगों से पैसे मांगे हैं. इस विज्ञापन में देश के लोगों के साथ ही विदेशियों से भी राहत कोष में मदद की अपील की गई है.
नीतीश पर BJP के ताबड़तोड़ हमले
बिहार खासकर पटना में भारी बारिश के बाद बनी बदतर स्थिति को लेकर विपक्ष तो विपक्ष सत्ता में शामिल बीजेपी भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल खड़े कर रही है. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह नीतीश कुमार का नाम तो नहीं ले रहे हैं लेकिन प्रशासन के बहाने मुख्यमंत्री पर हमला बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि पटना में जलप्रलय प्राकृतिक आपदा नहीं सरकार की चूक है.जेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी प्रशासन पर सवाल खड़े किए. उन्होंने मंगलवार को कहा, ''विगत 3 दिनों से पटना के हालात पर विचलित हूं. प्राकृतिक आपदा पर किसी का बस नहीं होता है पर 24 घंटे बारिश रुक जाने के बाद भी पानी का नहीं निकलना यह बताता है कि प्रशासनिक लापरवाही जरूर हुई है.''
इससे पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा भारी बारिश को प्राकृतिक आपदा बताए जाने पर कटाक्ष करते हुए कहा, ''पटना का जलप्रलय प्राकृतिक आपदा नहीं, व्यवस्था की अव्यवस्था है, सरकार की चूक है.'' केंद्रीय मंत्री ने कहा, "राहत व्यवस्था कागजों में सिमटी हुई है. प्रशासन के लिए बाढ़ उत्सव के समान है. विभागीय प्रावधान की आड़ में मानवीय संवेदना के साथ मजाक किया जा रहा है."