नई दिल्ली: हर साल भीषण बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले बिहार पर इस समय सूखे का ख़तरा मंडरा रहा है. इस साल बिहार में मानसून के सीज़न में अब तक 48 फीसदी कम बारिश हुई है जिसकी वजह से सूबे में सूखे के हालात बन रहे हैं.
मुख्य सचिव ने जानकारी दी कि सूखे से निपटने को लेकर विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में पटवन के लिए 18 से 20 घण्टे बिजली दी जाएगी ताकि सूखे की भयावहता को कम किया जा सके. साथ ही इस दौरान बिजली की दरों में भी कटौती की जाएगी यानी कि कृषि के लिए जो बिजली पहले 96 पैसे प्रति यूनिट उपलब्ध होती थी उसे घटाकर 75 पैसे प्रति यूनिट किया जाएगा. किसानों को डीज़ल पर दी जाने वाली सब्सिडी में भी भारी इज़ाफ़ा किया गया है, किसानों को डीज़ल पर पहले 40 रुपए प्रति लीटर सब्सिडी मिलती थी जिसे 10 रुपये बढ़ाकर 50 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है, यानी कि सूखे के बनते हालात के बीच बिहार सरकार ने किसानों को दोतरफ़ा मदद करने की कोशिश की है जिससे किसानों को बारिश की कमी के बावजूद खेतों में सिंचाई करने में दिक्कत न हो.
बिहार सरकार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने जानकारी दी कि सूखे के हालत से निपटने के लिए पीएचईडी विभाग को 500 पानी के टैंकर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. मुख्य सचिव ने ये भी दावा किया कि इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह मुस्तैद है और इसके लिए जितनी भी राशि की ज़रूरत होगी उसे पूरा किया जाएगा और उसमें कोई भी कमी नहीं बरती जाएगी.
मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सूखे की आशंका पर नज़र बनाए हुए हैं और इसी महीने की 31 तारीख़ को सीएम सूखे पर समीक्षा बैठक भी करेंगे जिसके बाद सूबे में बन रही सूखे की स्थिति को लेकर कोई घोषणा की जा सकती है.
ग़ौरतलब है कि दो दिन पहले ही एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार पर सूखे की स्थिति से निपटने के पर्याप्त उपाय न करने का आरोप लगाया था.