बिहार: एनडीए की 'संकल्प रैली' को लेकर गरमाई सियासत, पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर
इस संकल्प रैली को विपक्ष जहां 'देश तोड़ने का संकल्प लेने वाली रैली' बता रहा है, वहीं एनडीए का कहना है कि इस रैली के माध्यम से विकास और भ्रष्टचारमुक्त देश बनाने का संदेश दिया जाएगा.
पटना: बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की तीन मार्च को 'संकल्प रैली' होने वाली है. अब दो दिन ही शेष हैं. एनडीए में शामिल सभी दल एक ओर जहां इस रैली को सफल करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं, वहीं इस रैली को लेकर बिहार में सियासत भी गर्म हो गई है.
इस संकल्प रैली को विपक्ष जहां 'देश तोड़ने का संकल्प लेने वाली रैली' बता रहा है, वहीं एनडीए का कहना है कि इस रैली के माध्यम से विकास और भ्रष्टचारमुक्त देश बनाने का संदेश दिया जाएगा. इस रैली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान संबोधित करने वाले हैं.
बिहार का विपक्ष इस रैली को लेकर एनडीए पर निशाना साधने से नहीं चूक रहा है. रैली के समय को लेकर भी विपक्ष सत्तापक्ष पर निशाना साध रहा है. राष्ट्रीय जनता दल के विधायक और प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा, "इस रैली के माध्यम से एनडीए अपना असली चेहरा दिखाएगी. बेहतर होता कि बीजेपी अपने चाल और चरित्र के हिसाब से इसे 'संकल्प' के बजाय 'देश बांटो संकल्प रैली' नाम देती."
आरजेडी विधायक ने रैली के नाम को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि बीजेपी आज तक देश बांटने, जाति-पाति के नाम पर समाज बांटने, धर्म के नाम पर राजनीति करने का ही काम करती रही है. इस रैली के माध्यम से भी एनडीए के सभी दल इन्हीं कामों का संकल्प लेंगे. रैली के समय को लेकर भी विपक्ष सवाल उठा रहा है. पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा है कि देशहित में एनडीए को तीन मार्च की रैली स्थगित कर देनी चाहिए. मौजूदा परिस्थितियों में राजनीतिक कार्यक्रम उचित नहीं है.
इधर, एक महीने पहले 'जन आकांक्षा रैली' के द्वारा अपनी राजनीतिक ताकत दिखा चुकी कांग्रेस भी इस रैली के नाम को लेकर तंज कस रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा कहते हैं कि बीजेपी ने आजतक बांटने का ही काम किया है, इस रैली में भी उसी का संकल्प लेगी. उन्होंने कहा, "इस रैली के मध्यम से सीमा से लेकर समूचे देश में तनाव फैलाने का 'संकल्प' लिया जाएगा और इसके नाम पर बाद में राजनीति की जाएगी."
मिश्रा ने आरोप लगाया कि इस रैली में सरकारी पैसे और सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग कर भीड़ जुटाने की कवायद की जा रही है. एनडीए इस रैली के माध्यम से आखिर क्या संकल्प लेना चाहती है? लोगों को रैली के नाम पर अभी से घरों में कैद कर दिया गया है. कई सड़कों को बंद कर दिया गया है.
हालांकि एनडीए के नेताओं के पास 'संकल्प' के नाम को लेकर अपना तर्क है. बीजेपी के नेता इस नाम को सकारात्मक मानते हैं. बीजेपी बिहार इकाई के अध्यक्ष नित्यानंद राय कहते हैं कि इस रैली में देश के विकास का संकल्प लिया जाएगा. आज संकल्प का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था, समाज और देश में कई बदलाव लाने की है. वे कहते हैं, "यह संकल्प नया भारत, मजबूत भारत बनाने का होगा, जिसमें भ्रष्टाचार का नामोनिशान नहीं होगा."
जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार भी कहते हैं कि यह संकल्प रैली राजनीति में भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने की है. उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त कुरीतियों के समाप्त करने का यह संकल्प रैली है. बहरहाल, संकल्प रैली को लेकर बिहार में सियासत गर्म है. बयानबाजी से आने वाले चुनावों में कौन सा दल कितना फायदा उठा पाता है, यह देखने वाली बात होगी.