पटना: बिहार में भीतर ही भीतर राजनीतिक ‘खिचड़ी’ पक रही है. राज्य में सरकार के प्रति विपक्ष का रवैया देखकर तो ऐसा कहा ही जा सकता है. आज सदन में नीतीश कुमार की सरकार को घेरने का पहला मौका था लेकिन विपक्ष ने एनडीए में फूट कराने का नया तरीका निकाला. विपक्ष की तरफ से चमकी बीमारी से हुई मौत पर कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया गया. इस प्रस्ताव को विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने स्वीकार कर लिया. ये पहला मौका था जब विपक्ष के ऐसे प्रस्ताव को अध्यक्ष ने अपने आसन से स्वीकार कर लिया.


चमकी बुखार पर हुई मौत को लेकर सदन में चर्चा शुरू हुई. विरोधी दल के नेता तेजस्वी पटना तो आए पर सदन में नहीं आए. ऐसे में उनकी जगह उप नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने चर्चा में हिस्सा लिया. वे नीतीश कुमार पर थोड़े नरम ही रहे और बीजेपी कोटे से बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के इस्तीफे की मांग रख दी. सिद्दीकी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे इस्तीफा दें और जेडीयू से किसी को स्वास्थ्य मंत्री बनाएं. बीजेपी वाले ज़्यादा संगठन के काम में लगे रहते हैं. सिद्दीकी का ये बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकसभा चुनाव की हार से पहले आरजेडी हर मामले में नीतीश को ज़िम्मेदार मान उनसे इस्तीफे की मांग करती रही है.


ये पहला मौका है जिसमें आरजेडी नरम रुख अख्तियार किए हुए है. मंगल पांडे जब जवाब देने लगे तो विपक्ष ने उनसे इस्तीफे की मांग कर सदन का बहिष्कार कर दिया. मंगल पांडे ने किसी तरह लिखा हुआ भाषण पढ़ दिया लेकिन उनके चेहरे का भाव बता रहा था कि वो पूरे समय असहज थे. डिप्टी सीएम सुशील मोदी भी चर्चा के दौरान गंभीर रहे. बीजेपी निशाने पर थी.


इधर नीतीश कुमार ने जैसे ही सदन में चमकी पर चर्चा करने के लिए उठे सदन में विपक्ष के नेता भी आ गए. नीतीश ने विस्तार से चमकी पर अपना पक्ष रखा. विपक्ष पूरे वक्त चुपचाप सुनता रहा. अमूमन ऐसा मौका नहीं आता है. नीतीश कुमार ने कहा कि सिर्फ शोक प्रकट नहीं कर सकते हैं ये बहुत गंभीर मामला है.


सदन में जब चर्चा चल रही थी उस वक्त तेजस्वी अपने आवास पर ही रहे. हालांकि उनके बड़े भाई तेजप्रताप सदन में जरूर आए लेकिन उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा. जबकि राबड़ी देवी मीडिया में अपना बयान देकर चलती बनीं. कोंग्रेस का रुख भी नीतीश के प्रति नरम ही दिखा.


इसके पहले आरजेडी के सीनियर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह समेत कई नेता नीतीश कुमार को महागठबंधन में लाने की बात सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं. राबड़ी देवी ने भी इंकार नहीं किया और तेजस्वी तो बिल्कुल चुप हैं.