पटना: देशभर में कोरोना वायरस को लेकर दहशत का माहौल है लेकिन बिहार में इस वायरस की चिंता से दूर राज्य सभा के टिकट नहीं दिए जाने को लेकर घमासान मचा है. राज्यसभा के टिकट को लेकर विपक्ष में अंतर्कलह शुरू हो गई है. शत्रुघ्न सिन्हा के समर्थकों ने इसके विरोध में जुलूस निकाला. वहीं शरद यादव के समर्थकों ने बयान जारी कर टिकट के खरीद फरोख्त का आरोप लगाया.


बिहार में राज्यसभा सीट को लेकर महागठबंधन और एनडीए के पांच उम्मीदवारों का चुना जाना तय है. कांग्रेस और आरजेडी के बीच एक सीट को लेकर समझौता तो हो गया लेकिन कांग्रेस में अंदरखाने घमासान मचा हुआ है. पटना में कांग्रेस के पार्टी ऑफिस के बाहर शत्रुघ्न सिन्हा के समर्थकों ने जुलूस निकाला. सैंकड़ों की तादात में सिन्हा के समर्थक कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी से मिलना चाहते थे लेकिन वो मौजूद नहीं थे. इसके बाद समर्थकों ने पार्टी ऑफिस के बाहर ही प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया.


दरअसल राज्यसभा सीट की दावेदारी में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को एक सीट देने का वादा किया था. ऐसे में कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा दावेदारों की रेस में शत्रुघ्न सिन्हा का नाम था पर आरजेडी ने कांग्रेस को एक सीट नहीं दी. शत्रुघ्न सिन्हा कुछ दिन पहले लालू यादव से मिलने रांची पहुंचे थे और राज्य सभा के बारे में चर्चा की थी.


दूसरी तरफ शरद यादव को उम्मीद थी कि आरजेडी उन्हें राज्य सभा भेज देगी. शरद ने भी लालू यादव से बात की थी. ऐसे में शरद यादव खुद तो कुछ नहीं बोल रहे लेकिन उनके समर्थक नाराजगी जता रहे हैं. उनके समर्थकों ने नाराजगी जताते हुए सोशल मीडिया पर एक बयान जारी किया है. इस बयान में उन्होंने कहा, "समाजवादी नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव जी के बलिदान की किसी ने कीमत नहीं चुकाई. तेजस्वी यादव जी को बता दें कि कि शरद यादव जी के लिए राज्यसभा में जाना कोई बड़ा महत्व नहीं रखता पर आज जो देश की स्थिति है शरद यादव की अनुपस्थिति में सदन में जो निर्णय लिए जा रहे हैं गरीब विरोधी, दलित विरोधी, पिछड़ा विरोधी, मुसलमान विरोधी, निर्णय लिए जा रहे हैं आज ऐसी परिस्थिति में शरद जी का उपस्थिति राज्यसभा में अनिवार्य था."


उस बयान में आगे कहा गया, "शरद जी का कार्यकाल राज्यसभा का अभी तक समाप्त नहीं हुआ. जब महागठबंधन को धोखा देकर लोकतंत्र को नीतीश कुमार ने खतरे में डाल दिया. बिहार में 11 करोड़ लोगों के जनादेश को अपहरण कर लिया. ऐसी परिस्थिति में शरद जी को केंद्रीय मंत्री बनने का ऑफर आया था, जिसे ठुकरा कर महागठबंधन के साथ खड़े रहे थे. बड़े अफसोस की बात है जो व्यक्ति देश के लिए अनेकों बार मंत्री परिषद लोकसभा से इस्तीफा दे चुका है, आज उस व्यक्ति को राज्यसभा में नहीं भेजा जाना छोटी सोच दर्शाता है और साबित करता है आज जो राजनीति हो रही है आदर्श और मूल्यों का नहीं बल्कि राजनीतिक व्यवसाय को प्राथमिकता दिया जा रहा है. करोड़ों रुपया लेकर बाहरी लोगों को राज्यसभा भेजते और बिहार में सविंधान और लोकतंत्र बचाने के नाम पर बड़ी-बड़ी रैली करके बिहार की जनता को ठगने का काम किया जा रहा है."


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