नई दिल्ली: गुजरात के अहमदाबाद में 14 महीने की बच्ची से रेप के बाद उत्तर भारतीयों के ऊपर हमले और वहां से पलायन का असर देखने को मिल रहा है. गुजरात से बिहार लौटे गरीब मजदूरों का परिवार बेरोजगारी की वजह से भुखमरी के कगार पर आ गया है. गुजरात में हुए इस हमले ने हर किसी को हैरान तो कर ही रखा था अब भुखमरी ने परेशान कर रखा है. वैसे देखा जाए तो हमले के इतने दिनों बीत जाने और गुजरात से मजदूरों को भगाए जाने के बाद भी बिहार सरकार की ओर से राजनीतिक बयानबाजी के अलावा प्रबंधन की कोई पहल तक नहीं की गई है.


बिहार के भोजपुर जिले के कोईलवर प्रखंड की बिन्दगांवा बिंदटोली गांव के का रहने वाला रोहित इसी साल गुजरात गया था. 21 साल का रोहित वहां दस हजार के मेहनताने पर लेथ मशीन के कारखाने में मजदूरी करता था. गुजरात में हमले के बाद बिहार लौटे रोहित के घर में पिछले चार दिनों से चूल्हा नहीं जला है. जब रोहित की मां चूल्हे की ओर देखती है और फिर भूख से तड़पते अपने बच्चों की ओर तो उनका कलेजा फट जाता है.

रोहित गांव के ही 15 लोगों के साथ गुजरात गया था जिसमें से अभी भी कई लोग गुजरात फंसे हुए हैं. जब कभी गांव में मोबाइल की घंटी बज रही है तो भय से हर किसी का हाथ खुद ही जुड़ जाता है कि कहीं कोई बुरी खबर न मिले. बता दें कि इस गांव में दर्जनों घर ऐसे हैं जिनके घर के चिराग और सुहाग आज गुजरात में घिरे हुए हैं.


इस गांव के घरों में गुजरात में हुई अमानवीय हिंसा के बाद हर किसी के घर में मातम की स्थिति बनी हुई है. लोगों के चेहरे से खुशियां मिट गई हैं. नन्हें-नन्हें बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी आहत हैं कि ये सब क्यों हो रहा है.


हमले का शिकार होकर गुजरात से लौटे मजदूरों ने अपनी आपबीती सुनाई कि किस प्रकार से उन बेगुनाहों के ऊपर कहर टूटा है. गुजराती बेरहमी से पीट रहे हैं, रहम की भीख मांगने पर भी वो नहीं मान रहे थे. गुजरातियों के नजर में गलती सिर्फ इतनी है कि ये लोग बिहारी थे.