पटना: बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में आरक्षण के मुद्दे को हथियार बनाकर विपक्ष कहीं नुकसान न कर दे इसको लेकर बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने पार्टी का स्टैंड साफ किया.


सुशील मोदी ने आरक्षण को एसी/एसटी और पिछड़ों का मौलिक अधिकार बताया. साथ ही संवैधानिक संस्थाओं से अपील की है कि आरक्षण के मुद्दे पर सावधानी बरतें. उन्होंने कहा कि बीजेपी के रहते कोई ताकत दलितों और पिछड़ों के आरक्षण के अधिकार को कभी छीन नहीं सकती है.


उपमुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान के खंड-3 के अन्तर्गत धारा 15 (4) और (5) के तहत आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों का मौलिक अधिकार है. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने संविधान संशोधन कर प्रोन्नति में आरक्षण दिया तो नरेन्द्र मोदी की सरकार ने दलित अत्याचार निवारण अधिनियम में 23 नई धराएं जोड़ कर उसे और कठोर बनाया और जब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ धाराओं को शिथिल किया तो कानून में संशोधन कर उसे पुनर्स्थापित किया.


सुशील मोदी ने देश की संवैधानिक संस्थाओं से भी अपील है कि वे आरक्षण से जुड़े अत्यंत संवेदनशील मुद्दों पर काफी सावधानी बरतें क्योंकि यह लाखों-करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा मामला है. उन्होंने कहा कि एसीएसटी को मिला आरक्षण बाबा साहेब अम्बेडकर और महात्मा गांधी की देन है. दलितों-पिछड़ों को आरक्षण दिलाने के लिए ही 1932 में महात्मा गांधी को अंग्रेजों के खिलाफ 5 दिन तक यरवादा जेल में आमरण अनशन करना पड़ा था जिसके बाद पूणे समझौते के तौर पर आरक्षण का प्रावधान किया गया.


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने एसीएसटी को प्रोन्नति में आरक्षण देने के लिए संविधान में 77 वां, 81वां और 82 वां यानी तीन-तीन बार संशोधन किया तथा उनकी रिक्तियों को सुरक्षित रखने का भी प्रावधान किया.


सुशील मोदी ने कहा कि आरक्षण को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध बीजेपी जहां नौकरियों में दलितों के प्रोमोशन में आरक्षण का समर्थन करती है वहीं दलित आरक्षण में क्रीमी लेयर का कभी पक्षधर नहीं रही है. बीजेपी का स्पष्ट मत है कि अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों का आरक्षण अक्षुण्ण रहना चाहिए और उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए.


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