नई दिल्ली: नीतीश कुमार और उनकी पार्टी लालू यादव पर जातीय राजनीति का आरोप लगाती है. लेकिन अब लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने नीतीश पर जातीय राजनीति का आरोप लगा दिया है. बीते रविवार को नीतीश ने कुशवाहा समाज के नेताओं की बैठक बुलाई थी. इस पर तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए कहा, ''एक CM के जातिवाद की प्रकाष्ठा. झूठ, पाखंड, प्रचार व फ़रेब का सहारा और लोगों को भ्रमित कर गवर्नेंस का ढिंढोरा पीटने वाले नीतीश जी ने मुख्यमंत्री आवास को ही “जातीय पंचायतों” का अड्डा बना दिया है.''



इस हमले के जरिये तेजस्वी ने नीतीश पर जातिवादी राजनीति करने का आरोप लगाया है. अब तक ये आरोप लालू की पार्टी पर लगता रहा है. लेकिन नीतीश इस सवाल में घिर गये हैं. असल में नीतीश इन दिनों कुशवाहा समाज को लेकर परेशान हैं.


उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने नाक में दम कर रखा है. वहीं मंत्री मंजू वर्मा की बर्खास्तगी भी नीतीश को परेशान कर रही है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी शुद्ध रूप से कुशवाहा समाज की राजनीति के लिए जानी जाती है. इस पार्टी के नंबर दो नेता नागमणि अपने समाज की संख्या के हिसाब से एनडीए में टिकट की हिस्सेदारी चाहते हैं. इतना ही नहीं नीतीश कुमार को तो नागमणि सीएम मानने को तैयार नहीं हैं. बता दें कि कुर्मी से ज्यादा बिहार में कोइरी की आबादी है. जेडीयू में 11 विधायक कोइरी जाति के हैं. कोइरी जाति के कृष्णनंदन वर्मा शिक्षा मंत्री हैं. पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष भी कोइरी हैं.


नीतीश कुमार ने इस वोट को अपने पाले में बनाये रखने के लिए अपनी कोइरी नेताओं को सक्रिय कर दिया है. सांसद संतोष कुशवाहा और मंत्री वर्मा को जिम्मेदारी दी गई है. असल में नीतीश कुमार ने ही अपने राजनीतिक उदय के समय कोइरी नेताओं को आगे बढ़ाया. लेकिन बाद में इन नेताओं ने नीतीश का साथ छोड़ दिया. रविवार को बैठक में नीतीश कुमार को कहना पड़ा कि बहुतों को पार्टी में लाए, उन्हें खड़ा किया, लेकिन आज वही लोग कटाक्ष करते हैं.