पटना: तेजस्वी यादव ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला. उन्होंने एक पत्र सीएम नीतीश कुमार को लिखा जिसमें उन्होंने सीएम नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने पत्र में लिखा कि राजस्थान के कोटा से यूपी के 7500 बच्चों को वापस लाने के लिए 250 बसों का इंतजाम किया. वाराणसी में फंसे हजारों यात्रियों को बसों द्वारा अनेक राज्यों में भेजा गया.


तेजीस्वी यादव ने लिखा पत्र


तेजस्वी यादव ने पत्र में लिखा, '' बिहार सरकार आखिरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों हैं ? अप्रवासी मजबूर मजदूर वर्ग और छात्रों से इतना बेरुखी भरा व्यवहार क्यों है? विगत कई दिनों से देशभर में फंसे हमारे बिहारी अप्रवासी भाई और छात्र लगातार सरकार से घर वापसी के लिए गुहार लगा रहे है लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा कि सरकार के कानों तक जूं भी नहीं रेंग रही. आखिर उनके प्रति असंवेदनशीलता क्यों है?


गुजरात, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारें जहां अपने राज्यवासियों के लिए चिंतित दिखी और राज्य के बाहर फंसे हुए लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का इंतजाम किया वहीं बिहार सरकार ने अपने बाहर फंसे राज्यवासियों को बेसहारा छोड़ दिया है. देशव्यापी लॉकडाउन के मध्य ही गुजरात सरकार ने हरिद्वार से 1800 लोगों को 28 लक्जरी बसों में वापस अपने राज्य में लाने का प्रबंध किया.


उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रवासियों को घर पहुंचाया


उत्तर प्रदेश शासन ने 200 बसों के अनेकों ट्रिप से दिल्ली एनसीआर में फंसे अपने राज्यवासियों को उनके घरों तक पहुंचाया. आखिर बीजेपी शासित अन्य राज्य इतने सक्षम क्यों है और बीजेपी के साथ सरकार में रहते हुए भी बिहार सरकार इतनी असहाय क्यों है? बिहार सरकार और केंद्र सरकार में भारी विरोधाभास नजर आ रहा है. केंद्र और राज्य सरकार में समन्वय और सामंजस्य कही दिख ही नहीं रहा. आप देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, लेकिन इस आपदा की घड़ी में बिहार के लिए उस वरिष्ठता और गठबंधन का सदुपयोग नहीं हो रहा है.


जब जन दबाव आया तो सरकार ने उन लोगों को राज्य में प्रवेश की अनुमति दी. सरकार से कोई मदद ना मिलने की स्थिति में अब मेहनत शील मजदूर आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है. यह अति गंभीर मसला है. जैसा की आप जानते होंगे विगत तीन दिनों में बिहार के तीन अप्रवासी मज़दूरों की मृत्यु हुई है. एक की हैदराबाद में और कल पंजाब के अमृतसर और हरियाणा के गुड़गांव में दो युवकों की मृत्यु और हुई.


ये लोग नौकरी छूटने, अपना पेट नहीं भरने के कारण मांगकर खाने, वापस घर नहीं जाने और सरकार द्वारा त्याग दिए जाने के कारण मानसिक अवसाद के शिकार हो चुके थे. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि उनके बेचारे परिजन उन मृत व्यक्तियों के अंतिम दर्शन भी ना कर सके और आखिरी समय में उन्हें जन्मभूमि की मिट्टी भी नसीब ना हो.


सरकार कर रही है हर संभव प्रयास


शुरुआत से कोरोना महामारी की इस लड़ाई में हम सरकार के साथ खड़े होकर उसे रोकने में हर संभव मदद कर रहे है.मैं आपसे पुन: आग्रह कर रहा हूं कि आप पुनर्विचार करें और देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे सभी इच्छुक प्रवासी बिहारियों और छात्रों को सकुशल और सम्मान के साथ बिहार लाने का प्रबंध करें. सभी ट्रेनें ख़ाली खड़ी हैं.


आप रेलमंत्री भी रहे है उस अनुभव का उपयोग किया जाए.सामाजिक दूरी और अन्य जन सुरक्षा निर्देशों का पालन कराते हुए बहुत आसानी से इन लोगों को इन ट्रेनों से वापस लाया जा सकता है. यहां आगमन पर अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य जांच, टेस्ट और क्वॉरंटीन किया जाए.


अपने नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है. अपने राज्यवासियों को गैरबराबरी का अहसास मत कराइये.इस विपदा की घड़ी में बेचारे बाहर फंसे हुए हमारे लोग बड़ी उम्मीद से सरकार की तरफ देख रहे है कि सरकार उनको सकुशल घर तक पहुंचाने का इंतजाम करेगी लेकिन सरकार की अस्पष्टता उनको निराश कर रही है. जितना संपन्न और समृद्ध व्यक्ति की जान की क़ीमत है उतना ही एक मजबूर मजदुर की भी जान की कीमत है.


अगर गुजरात, यूपी सरकार और कोई बीजेपी सांसद अपने राज्यवासियों को निकाल सकता है तो बिहार क्यों नहीं? केंद्र के दिशानिर्देशों के पालन में समानता की मांग करिये. अगर बिहार के साथ दोहरा रवैया है तो कड़ा विरोध प्रकट कीजिये. पूरा बिहार आपके साथ खड़ा है.


आखिर बिहारवासी कब तक ऐसे त्रिस्कृत होते रहेंगे? इस मुश्किल वक्त में तमाम स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधित उपायों का पालन करते हुए कृपया बाहर फंसे सभी प्रदेश वासियों को यथाशीघ्र बिहार लाने का उचित प्रबंध करें.


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