पटना: कुछ दिनों के लिए राजनीति से गायब हो जाने के बाद तेजस्वी यादव पूरी तरह से सक्रीय हो गए हैं. बैठकों और समीक्षाओं का दौर जारी है. तेजस्वी ने अगले में होने वाले कार्यक्रम का ब्यौरा जारी किया है. इसमें रैली, बैठक, जनता दर्शन और मिलन समारोह जैसे कार्यक्रम शामिल हैं. विधानसभा चुनाव को लेकर तेजस्वी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. आरजेडी ये एलान कर चुकी है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ही पार्टी का चेहरा होंगे. बिहार के अलावा पड़ोसी राज्य झारखंड में भी तेजस्वी जनसंपर्क अभियान का हिस्सा होंगे.


बता दें कि तेजस्वी पूरे विधानसभा सत्र से गायब ही रहे. उनकी गैर मौजूदगी ने न सिर्फ विरोधियों का सवाल उठाने का मौका दिया बल्कि पार्टी के अंदर से भी नाराजगी की खबरें आने लगी थी. 21 अगस्त को पटना वापसी के बाद सबसे पहले तेजस्वी यादव ने अपने निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर का दौरा किया. इस क्षेत्र के लिए उन्होंने सदस्यता अभियान की शुरुआत की और कहा कि 50 लाख लोगों को पार्टी का सदस्य बनाने का टारगेट है. इसके साथ ही पार्टी ऑनलाइन भी सदस्यता अभियान चला रही है.



पिछड़ी जाति के वोटबैंक पर नजर


वापसी के बाद से तेजस्वी की नजर आने वाले विधानसभा चुनाव पर है. इसी रणनीति के तहत बीते 3 सितंबर को पटना में अति पिछड़ा प्रकोष्ठ की बैठक की. बैठक में तय किया गया कि पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक अतिपिछड़ों को 60 फीसदी भागीदारी दी जाएगी. तेजस्वी ने अपने बयान में कहा कि आरजेडी का लक्ष्य नया बिहार बनाना है. इसके लिए सभी अतिपिछड़ों को एकजुट होकर राष्ट्रीय जनता दल के झंडे के नीचे काम करना होगा.


लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद तेजस्वी यादव की कोशिश है कि एक बार फिर से पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकी जाए. लोकसभा चुनाव में पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई थी. इसके बाद से ही तेजस्वी की राजनीतिक क्षमता भी सवाल के घेरे में हैं. चुनाव के दौरान महागठबंधन की अगुवाई तेजस्वी ही कर रहे थे.


यह भी देखें