बिहार: पुलिस कस्टडी में दो आरोपियों की मौत, थानाध्यक्ष समेत आठ आरोपी पुलिसकर्मी फरार
इस मामले में थानाध्यक्ष समेत आठ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया और उन्हें हिरासत में भेज दिया गया. हैरानी की बात है कि आरोपी पुलिसकर्मी थाने से फरार हो गए.
पटना: जिस पुलिस के कंधों पर आम इंसान की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है, वही पुलिस जब भक्षक का रूप धारण करती है तो तस्वीर भयानक होती है. यूं तो पुलिस का काम अपराधियों को पकड़कर कानूनी तरीके से जेल भिजवाना होता है लेकिन बिहार में पुलिस अब खुद ही इंसाफ करने लगी है. बीते सप्ताह बिहार के सीतामढ़ी में हत्या और लूट के मामले में दो आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में लेकर इतना पीटा कि उनकी मौत हो गई.
मोहम्मद तस्लीम और गुफरान नाम के दो युवकों को सीतामढ़ी पुलिस ने 5 मार्च की देर रात हत्या और लूट के एक मामले में उनके घर से हिरासत में लिया. पूछताछ करने के लिए पुलिस उन्हें सीतामढ़ी के डुमरा थाना लेकर आई लेकिन महज कुछ घंटों की पूछताछ के बाद ही दोनों आरोपियों की हालत खराब हो गई और अस्पताल ले जाते-जाते दोनों ने दम तोड़ दिया. दोनों ही युवक मोतिहारी जिले के चकिया थानांतर्गत रमडीहा गांव के रहने वाले थे.
बीते 20 फरवरी को सीतामढ़ी के डुमरा थानांतर्गत प्रेमनगर इलाके में एक दंपत्ति के साथ लूट और पति की गोली मारकर हत्या हुई थी. इसी मामले में पूछताछ करने के लिए 5 मार्च की देर रात करीब 1 बजे डुमरा थाने की पुलिस मोतिहारी के रमडीहा गांव पहुंची और दोनों युवकों को हिरासत में लेकर सीतामढ़ी आ गई. पुलिस के मुताबिक 6 मार्च की सुबह 5 बजे दोनों आरोपियों को थाने लाया गया और शाम करीब 4 बजे दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी मौत हो गई. आरोप है कि इन्हीं 10 घंटों के दौरान पुलिस ने दोनों आरोपी युवकों की बर्बरतापूर्ण पिटाई की जिससे उनकी मौत हो गई.
युवकों की मौत के बाद शुरू में पुलिस ने पिटाई से इंकार किया लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए आनन-फानन में थानाध्यक्ष समेत आठ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया और सभी पर हत्या का मामला दर्ज करते हुए उन्हें रुन्नीसैदपुर थाने में हिरासत में भेज दिया गया. लेकिन हैरानी की बात है कि आरोपी पुलिसकर्मी थाने से फरार हो गए जिसके बाद रुन्नीसैदपुर थाने के थानेदार को भी निलंबित कर दिया गया है. फिलहाल सभी आरोपी पुलिसकर्मी फरार हैं.
इस पूरे मामले में दोनों मृतकों के परिजनों के आरोप गंभीर हैं. मृतकों के शरीर पर मौजूद चोट के निशान ये बताने के लिए काफी थे कि उनके साथ बर्बरता बरती गई थी लेकिन परिजनों का आरोप है कि युवकों को पुलिस हिरासत में बिजली का करंट दिया गया था. साथ ही उनके शरीर पर कई जगहों पर कील घोंपी गई थी हालांकि मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहीं भी इन चीजों का जिक्र नहीं है.
इस मामले को लेकर जब सीतामढ़ी के एसपी अनिल कुमार से बात की तो उन्होंने कुछ भी साफ-साफ नहीं बताया और सिर्फ जांच और कार्रवाई की बात करते रहे. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में सीतामढ़ी के जिलाधिकारी रणजीत कुमार सिंह ने पूरी घटना को विस्तार से बताया, हालांकि वो ये मानने को तैयार नहीं हुए कि युवकों की मौत पुलिस की पिटाई से हुई.
डीएम ने कहा कि आरोपी युवकों की पुलिस हिरासत में 'थोड़ी पिटाई' हुई थी जिसके बाद दोपहर में अचानक उनकी तबियत बिगड़ी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी मौत हो गई. उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि दोपहर में जब युवकों को खाना दिया गया उसके बाद ही दोनों युवकों की हालत बिगड़ी थी. डीएम रणजीत के मुताबिक युवकों के शरीर पर चोट के निशान तो थे लेकिन उनकी मौत किस वजह से हुई इसकी जांच के लिए मृतकों के विसरा को जांच के लिए भेजा गया है और उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की वजह साफ हो पाएगी.
एबीपी न्यूज़ ने ये भी जानने की कोशिश की कि पुलिस की इतनी बर्बरता के बाद साथी पुलिसकर्मी क्या सोचते हैं. जिस रुन्नीसैदपुर थाने से आरोपी पुलिसकर्मी फरार हुए वहीं मौजूद पुलिसकर्मी अपने साथियों के इस जघन्य अपराध का बचाव करते भी दिखे.
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