सियासी तनातनी के बीच आखिरकार पककर तैयार हुई कुशवाहा की 'खीर', अब आगे क्या?
इस मौके पर कुशवाहा ने एक बार फिर खीर बनाने का उद्देश्य तो नहीं बताया पर ये बता दिया कि खीर के लिए समान कहां से लाएंगे. इशारा एक बार महागठबंधन की तरफ ही था लेकिन खुलकर कुछ भी कहने से बचते रहे.
पटना: उपेंद्र कुशवाहा की 'खीर' आज फिर से पहेली बन गई. पटना में 'पैगाम-ए-खीर' के नाम से आयोजित भोज कार्यक्रम का मौका था और आरएलएसपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में जोश ऐसा था कि मानो उपेंद्र कुशवाहा ही बिहार के भविष्य हैं. खीर खाने का और खीर पर राजनीतिक चर्चा पर हो रही थी. इस मौके पर कुशवाहा ने एक बार फिर खीर बनाने का उद्देश्य तो नहीं बताया पर ये बता दिया कि खीर के लिए समान कहां से लाएंगे. इशारा एक बार महागठबंधन की तरफ ही था लेकिन खुलकर कुछ भी कहने से बचते रहे.
#बिहार में अमन-चैन एवं सामाजिक सौहार्द के लिए आज से #रालोसपा का #पैगाम_ए_खीर कार्यक्रम का शुभारंभ।#RLSP for #SocialAmicability#Paigam_E_Kheer pic.twitter.com/6elMJV8OVi
— Upendra Kushwaha (@UpendraRLSP) September 25, 2018
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि खीर सभी लोगों के सौजन्य से बनी है. बैठकर सभी लोग खा भी रहे हैं. मुसलमान भाई के दस्तरखान पर हमलोग बैठे हैं. जो खीर बनी है उसमें दूध यदुवंशी भाई के यहां से, चावल कुशवंसी भाई के यहां से, अतिपिछड़ा समाज से पंचमेवा और पवित्र करने के लिए दलित भाई के घर से तुलसी पत्ता लाया गया है. यहां दस्तरखान का संदेश यह होता है कि यहां बैठने वाला कोई बड़ा-छोटा नहीं होता है. सब बराबर होते हैं. किसी को हक से ज्यादा नहीं और किसी को उसके हक से वंचित भी नहीं करना है. ऐसा संदेश इस कार्यक्रम के माध्यम से देना चाहते हैं.
आरएलएसपी अध्यक्ष ने कहा कि ये किसी राजनीतिक दल की बात नहीं है. आमंत्रण किसी को नहीं दिया गया है. इसमें समाज के लोगों को एड्रेस किया जा रहा है. पॉलिटिकल पार्टी से इसका कोई रिश्ता नहीं है. लेकिन इस पूरे कार्यक्रम में एक बात तो साफ तौर पर दिख रहा था कि कुशवाहा के समर्थक उन्हें बिहार के सीएम के रूप में देखना चाहते हैं.