पटना: उपेंद्र कुशवाहा की 'खीर' आज फिर से पहेली बन गई. पटना में 'पैगाम-ए-खीर' के नाम से आयोजित भोज कार्यक्रम का मौका था और आरएलएसपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में जोश ऐसा था कि मानो उपेंद्र कुशवाहा ही बिहार के भविष्य हैं. खीर खाने का और खीर पर राजनीतिक चर्चा पर हो रही थी. इस मौके पर कुशवाहा ने एक बार फिर खीर बनाने का उद्देश्य तो नहीं बताया पर ये बता दिया कि खीर के लिए समान कहां से लाएंगे. इशारा एक बार महागठबंधन की तरफ ही था लेकिन खुलकर कुछ भी कहने से बचते रहे.





उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि खीर सभी लोगों के सौजन्य से बनी है. बैठकर सभी लोग खा भी रहे हैं. मुसलमान भाई के दस्तरखान पर हमलोग बैठे हैं. जो खीर बनी है उसमें दूध यदुवंशी भाई के यहां से, चावल कुशवंसी भाई के यहां से, अतिपिछड़ा समाज से पंचमेवा और पवित्र करने के लिए दलित भाई के घर से तुलसी पत्ता लाया गया है. यहां दस्तरखान का संदेश यह होता है कि यहां बैठने वाला कोई बड़ा-छोटा नहीं होता है. सब बराबर होते हैं. किसी को हक से ज्यादा नहीं और किसी को उसके हक से वंचित भी नहीं करना है. ऐसा संदेश इस कार्यक्रम के माध्यम से देना चाहते हैं.


आरएलएसपी अध्यक्ष ने कहा कि ये किसी राजनीतिक दल की बात नहीं है. आमंत्रण किसी को नहीं दिया गया है. इसमें समाज के लोगों को एड्रेस किया जा रहा है. पॉलिटिकल पार्टी से इसका कोई रिश्ता नहीं है. लेकिन इस पूरे कार्यक्रम में एक बात तो साफ तौर पर दिख रहा था कि कुशवाहा के समर्थक उन्हें बिहार के सीएम के रूप में देखना चाहते हैं.