औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद में डीएम के बीबी बेचने के बयान पर विवाद खड़ा हो गया था. लेकिन अब पूरा औरंगाबाद उनके समर्थन में उतर आया है. औरंगाबाद के डीएम कंवल तनुज ने गांव के एक शख्स की तरफ से शौचालय को लेकर एडवांस पैसों की मांग पर बीबी बेचने जैसा बयान दिया था.
डीएम की नीयत ठीक होने से उन्हें इलाके के लोगों का साथ मिल रहा है. डीएम के समर्थन में छात्र संगठनों से लेकर सभी राजनैतिक दलों ने मिलकर इलाके के रमेश चौक पर रैली निकाली. समर्थन में मस्जिद से एलान हुआ तो सोशल मीडिया पर मुहिम भी चली.
एक शख्स ने मांगा था एडवांस पैसा
21 जुलाई को औरंगाबाद में सदर प्रखंड के जम्होर में डीएम कवंल तनुज स्वच्छता के लिए प्रेरित कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने महिलाओं की इज्जत आबरू के लिए शौचालय बनाने के लिए 12 हजार में शौचालय बनाने की बात कही. इतने में एक व्यक्ति ने अपनी गरीबी की बात कह कर एडवांस पैसा मांग डाला. इस बात पर डीएम को गुस्सा आ गया और उन्होंने शख्स को बीवी बेचने की सलाह दे डाली.
क्या कहा था डीएम कंवल ने?
डीएम कंवल तनुज ने कहा था, ‘’ऐसा कौन सा गरीब आदमी है जो मुझे कह दे कि मेरी बीवी की इज्जत ले लो और मुझे 12 हजार रुपए दे दो. कोई ऐसा नहीं होगा. जाकर देखिए कितनी गरीबी है. ’अरे जाओ बेच दो अपनी बीवी को. अगर ये मानसिकता है तो जाकर नीलाम कर दी जाए घर की इज्जत और कह दीजिए सरकार से कि नहीं बनेगा शौचालय.’’
शौचालय के मुद्दे पर जिस शख्स से औरंगाबाद के डीएम की गर्मागर्म बहस हुई थी, उसका नाम शौकीन है और वो औरंगाबाद के जम्होर पंचायत का रहनेवाला है. पूरे विवाद की पड़ताल के लिए एबीपी न्यूज जब उसके घर पहुंचा तो उसके घर की हालत ही उसकी गरीबी की बयां को कर रही थी.
कंवल की बात को सही तरह से नहीं समझ पाया शख्स
शौकीन से जब पूरे विवाद पर बात हुई तो एक अलग ही कहानी उभरकर सामने आयी. शौकीन के मुताबिक, उसने तो डीएम से अपने टूटे घर को बनवाने की बात कही थी. वो डीएम कवंल तनुज की बात को सही तरीके से नहीं समझ पाया था जिसकी वजह से शौचालय के लिए मिलनेवाले सरकारी पैसे को लेकर विवाद पैदा हो गया.
सरकार द्वारा शौचालय के लिए मिलती है 12 हजार रुपए की मदद
जम्होर के इस टोला गांव में 50 घर है. किसी के पास शौचालय नहीं है. प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात संकल्प योजना के तहत गरीबों को शौचालय के लिए 12 हजार रूपये की आर्थिक मदद मिलती है, लेकिन ये मदद शौचालय बनने के बाद मिलती है और उसके लिए भी मुखिया का प्रमाणपत्र जरूरी होता है. ऐसे में अगर किसी के पास 12 हजार रुपए भी नहीं होंगे तो वह शौचालय कैसे बनवाएगा. डीएम कंवल के इस बयान को सरकार की योजना पर तंज के रूप में देखा जा रहा है.
सरकार की इस योजना से फैल रहा भ्रष्टाचार
सरकार की इस नीति की वजह से उन गरीबों को खासी परेशानी होती है जिनके घर में दो वक्त की रोटी मुश्किल से बनती है. इसके अलावा आरोप ये भी लगते हैं कि मुखिया से शौचालय का सर्टिफिकेट बनवाने और सरकारी अनुदान के 12 हजार रूपये लेने में भी गरीबों को घूस देना पड़ता है. औरंगाबाद के डीएम उत्तेजना में इन सब बातों को भूल गये और बीवी बेच दो जैसे शब्दों के इस्तेमाल की वजह से वो बेवजह विवाद में फंस गये.