नई दिल्ली: 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टियां अपनी कमर कस चुकी हैं. जहां एक तरफ केंद्र सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है वहीं दूसरी तरफ विपक्ष सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर जनता क्या सोच रही है. इसे जानने के लिए एबीपी न्यूज ने बिहार के हाजीपुर में जनता की राय जानने की कोशिश की. हाजीपुर नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान का संसदीय क्षेत्र है.


हाजीपुर की सुरक्षित सीट से रामविलास पासवान आठ बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं. साल 1977 में पहली बार पासवान ने चुनाव जीता. उन्होंने चार लाख 24 हजार वोटों से जीत दर्ज की. 1989 में पांच लाख वोटों से जीत कर रिकॉर्ड बनाया. हालांकि साल 2009 में उन्हें इस सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा. पासवान रेल, रसायन, संचार और स्टील जैसे मंत्रालय भी संभाल चुके हैं. वे दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा उनके बेटे चिराग पासवान जमुई से सांसद हैं. उनके भाई रामचंद्र पासवान भी सांसद हैं. इसके अलावा छोटे भाई पशुपति पारस बिहार में मंत्री हैं.


हाजीपुर में जनता की राय जानने के लिए एबीपी न्यूज़ की टीम हाजीपुर से सात किलोमीटर दूर रहीमापुर गांव पहुंची, जहां केले की खेती होती है. यहां की सड़कें अच्छी बनी हैं. सुरेश सिंह नाम के किसान ने बताया कि यहां पांच से छह किस्म के केले उगाए जाते हैं. वहीं राहुल नाम के युवक ने कहा कि केले के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए सरकार को सोचने की जरूरत है. राहुल ने कहा कि अगर यहां कारखाना लगे तो केले के तने (थम) से जूता चप्पल या बैग बनाए जा सकते हैं. इससे हमारे यहां के युवाओं और महिलाओं को रोजगार मिलेगा. उन्होंने यह भी कहा कि केले से बने चिप्स का भी अगर कारखाना लगाया जाए तो लोगों को रोजगार मिलेगा.


इसके बाद एबीपी न्यूज हाजीपुर के सुल्तान गांव पहुंचा. यहां बबीता नाम की महिला नाराज दिखीं. उन्होंने शिकायत की कि मकान के लिए उन्होंने फॉर्म तो भरा था लेकिन पैसे नहीं मिले. उन्होंने गांव के मुखिया पर मकान के पैसे के लिए दो-तीन लाख रुपये घूस मांगने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी शिकायत की कि उनके पास शौचालय नहीं है. यहां के लोग स्थानीय जनप्रतिनिधियों से नाराज हैं. यहीं के रहने वाले अर्जुन नाम के एक शख्स ने बताया कि यहां के लोकसभा सांसद रामविलास पासवान ने गांव में सड़क, चापाकल और बिजली मुहैया कराई है. हालांकि उन्होंने आईटीआई और रोजगार के मोर्चे पर कहा कि कोई मदद नहीं की गई.


वहीं एक आरटीआई कार्यकर्ता सोनू चौरसिया ने आरटीआई के जरिए जो जानकारी निकाली उसके मुताबिक आरोप है कि स्थानीय मुखिया ने सामाजिक योजनाओं में घोटाला किया है. इस आरोप पर पक्ष लेने के लिए मुखिया की तलाश करवाई लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई. यहां जो भी लोग थे उन्होंने एक सुर में मुखिया के खिलाफ कैमरे पर जबरदस्त तरीके से अपनी आवाज उठाई.


गांव की गलियों की ग्राउंड रिपोर्ट जानने के बाद हाजीपुर शहर में उन नए वोटरों के मन को टटोलने की कोशिश की गई जो 2019 में पहली बार वोट डालेंगे. यहां की कुछ छात्राएं मोदी सरकार के काम से खुश दिखीं. रेलवे ट्रेड यूनियन से जुड़े राहुल राठौड़ बताते हैं कि रामविलास पासवान की वजह से ही देश में लोग हाजीपुर को जानते हैं. हालांकि बीस साल से इलाके में पत्रकारिता कर रहे शैलेश कुमार मानते हैं कि पासवान के इस टर्म का कामकाज उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा है. रामविलास पासवान की जीत में विकास दूसरा फैक्टर और जाति पहला फैक्टर है. यही वजह है कि पासवान को एनडीए में तवज्जो दी जा रही है. बीजेपी की भी कोशिश है कि पासवान के जरिए दलित वोटों को अपने पाले में रखा जाए.