इंदौर: वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश में सरकार का "सुपर चीफ मिनिस्टर" करार देते हुए बीजेपी ने रविवार को तंज किया कि सूबे की जनता इस बात को लेकर भ्रमित है कि आखिर असली मुख्यमंत्री कौन है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा, "फिलहाल जो चित्र दिखायी देता है, उससे लगता है कि दिग्विजय प्रदेश के सुपर चीफ मिनिस्टर हैं और वही कांग्रेस सरकार चला रहे हैं. उनके बाद मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ और फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया आते हैं."
प्रदेश में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान को लेकर सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "सूबे के लोग भ्रमित हैं और वे इन तीन मुख्यमंत्रियों के बीच अपना मुख्यमंत्री ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं." सिंह ने एक सवाल पर इस बात को खारिज किया कि विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी की प्रादेशिक राजनीति में हाशिये पर धकेल दिया गया है.
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, "शिवराज मुख्यमंत्री पद के लिये बीजेपी का चुनावी चेहरा थे. वह आज भी हमारे सम्मानीय नेता हैं. चूंकि आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव होने हैं. इसलिये पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को लेकर आगे बढ़ रही है." एक पत्रकार ने शिवराज को उनके लोकप्रिय उपनाम "मामाजी" के नाम से संबोधित करते हुए स्थानीय मालवी बोली में पूछा कि "क्या आपके मामाजी आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे", तो प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद पलों तक समझ नहीं पाये कि "मामाजी" कहकर आखिर किसे पुकारा जा रहा है.
पत्रकारों ने सिंह से पूछा कि क्या प्रदेश बीजेपी इकाई शिवराज को चुनावी हार के तीन महीने में ही भुला चुकी है, तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा, "मुझसे पूछा गया था कि क्या आपके मामाजी आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, तो मैं पहले-पहल सवाल समझ नहीं पाया. अगर मुझसे पूछा जाता कि क्या प्रदेश के बच्चों के मामाजी चुनाव लड़ेंगे, तो मैं तुरंत समझ जाता कि बात शिवराज की हो रही है."
राज्य की कमलनाथ सरकार को "बैसाखियों पर टिकी सरकार" बताते हुए उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ कांग्रेस पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के राज में किसानों को कर्ज बांटने में घोटाले के झूठे आरोप लगा रही है. सिंह ने कहा, "सूबे की कांग्रेस सरकार कर्ज माफी के नाम पर किसानों के साथ धोखा कर रही है. यह सरकार कृषि ऋणों को लेकर लगातार भ्रम का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है, ताकि वह किसान कर्ज माफी के मुद्दे को आगामी लोकसभा चुनावों तक लटका सके."
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