गोरखपुर: आखिरकार भारतीय जनता पार्टी ने महत्वपूर्ण सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करके संशय खत्म कर दिया है. एक बार फिर एबीपी न्यूज़ की खबर पर मुहर लगी है. हमने पहले ही अभिनेता पं. रवि किशन शुक्ला को उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा की थी. लेकिन, उसके बाद कई और नाम भी चर्चा में आए. हमने पाठकों को यह भी बताया था कि भाजपा को सवर्ण उम्मीदवार को मैदान में लाना, अब उसकी मजबूरी बन गई है. क्योंकि सारा दारोमदार सवर्ण वोटरों पर ही टिका हुआ है. वहीं संत कबीर नगर से सेटिंग एमपी शरद त्रिपाठी का टिकट कट गया है. उनकी जगह सपा से भाजपा में आए प्रवीण निषाद को उम्मीदवार बनाया गया है.


गोरखपुर समेत संतकबीरनगर और देवरिया सीट पर उम्मीदवार को लेकर पिछले कई दिनों से संशय बना हुआ था. भारतीय जनता पार्टी शीर्ष नेतृत्व यह नहीं कर पा रहा था कि इन तीनों सीट पर किसे उम्मीदवार बनाया जाए. गोरखपुर सीट पर सबसे ज्यादा सस्पेंस बना हुआ था. क्योंकि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में मंदिर और योगी की सीट पर सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद से भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र शुक्ला को साढ़े बाइस हजार मतों से शिकस्त खानी पड़ी थी.


भाजपा शीर्ष नेतृत्व उपचुनाव में हार के बाद फूंक-फूंक कर कदम रख रहा था. यही वजह है कि सपा नेता, अमरेंद्र निषाद और उनकी पूर्व विधायिका मां राजमती निषाद को भाजपा की सदस्यता ग्रहण करा दी गई. अमरेंद्र के नाम पर जब गोरखपुर से टिकट पाने की चर्चा होने लगी तो ऐसा लगा कि प्रवीण निषाद के खिलाफ उन्हें भाजपा मैदान में उतार सकती है. लेकिन, नाटकीय घटनाक्रम के बाद प्रवीण निषाद भी भाजपा में शामिल हो गए.


अब भाजपा को निषाद वोट बैंक को सहेजने की जरूरत नहीं थी. क्योंकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राम भुआल निषाद से अधिक निषाद समाज के लोग निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद पर विश्वास करते हैं. इस बीच पिपराइच के विधायक महेंद्र पाल सिंह के नाम पर भी चर्चा चली. लेकिन सैंथवार बिरादरी के महेंद्र पाल सिंह के नाम पर इसलिए भी सहमति नहीं बन पाई क्योंकि सैंथवार वोट महज डेढ़ लाख है.


भाजपा यह भी मानती रही है कि उपचुनाव में हार का कारण निषाद वोट बैंक नहीं. बल्कि, सवर्ण जाति के लोगों का घरों से वोट देने नहीं निकलना ज्यादा है. ऐसे में सवार जाति के लोगों की नाराजगी भाजपा के लिए महंगी पड़ सकती थी.


भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय पदाधिकारियों और पूर्व प्रत्याशी रहे उपेंद्र दत्त शुक्ल का नाम भी इस बीच चर्चा में रहा. लेकिन, इस पर मुहर नहीं लगी. आखिरकार कयासों पर विराम लग गया और भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता पंडित रवि किशन शुक्ल को गोरखपुर से उम्मीदवार बना दिया.


जूता कांड से चर्चा में आए संतकबीरनगर से सिटिंग एमपी शरद त्रिपाठी का टिकट भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने काट दिया है. ऐसे कयास पहले से लगाए जा रहे थे कि उनका टिकट कट जाएगा. आखिरकार गोरखपुर से सपा सांसद रहे भाजपा में शामिल हो चुके प्रवीण निषाद को संतकबीरनगर से उम्मीदवार घोषित किया गया है.


वहीं जूता कांड से सुर्खियां बटोरने वाले शरद त्रिपाठी के पिता और साफ-सुथरी छवि वाले नेता रमापति राम त्रिपाठी को देवरिया से उम्मीदवार बनाया गया है. देवरिया में भी कलराज मिश्र के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद कई लोगों के नाम चर्चा में आ रहे थे. लेकिन, आखिरकार उस पर विराम लग गया.