नई दिल्ली: विधायक बेटे द्वारा सरकारी अधिकारी की बैट से पिटाई के मसले पर बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने छह दिनों बाद सार्वजनिक तौर पर बयान दिया है. पश्चिम बंगाल में पार्टी के प्रभारी विजयवर्गीय ने आज कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, आकाश विजयवर्गीय और निगम के कमिश्नर दोनों ही कच्चे खिलाड़ी हैं, दोनों ने गलत ढंग से पूरी घटना को निपटाया.


उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि अधिकारियों को अहंकारी नहीं होना चाहिए, उन्हें जनप्रतिनिधियों से बात करनी चाहिए. मैंने इसकी कमी देखी और यह आगे नहीं हो यह सुनिश्चित करना होगा. दोनों को समझना चाहिए.''


कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ''यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मुझे लगता है कि दोनों पक्षों ने इसे गलत ढ़ग से काम किया. आकाश जी और नगर निगम के कमिश्नर दोनों कच्चे खिलाड़ी हैं. यह बड़ा मुद्दा नहीं था, लेकिन इसे बहुत बड़ा बना दिया गया.''


उन्होंने आगे कहा, ''यदि किसी इमारत को ध्वस्त किया जाता है, तो निवासियों के लिए एक 'धर्मशाला' में रहने की व्यवस्था की जाती है. नगर निगम ने गलत ढ़ंग से काम किया. महिला कर्मी और महिला पुलिस वहां होनी चाहिए थी. यह अपरिपक्वता था. ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए.''





बीजेपी महासचिव ने कहा कि मैं एक बार पार्षद, मेयर और संबंधित विभाग में मंत्री था. हम बारिश के दौरान किसी भी आवासीय भवन को ध्वस्त नहीं करते हैं. मुझे नहीं पता कि अगर सरकार द्वारा आदेश जारी किया गया था, अगर कोई आदेश जारी किया गया था, तो यह उनकी ओर से गलती है.


कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने इंदौर के गंजी कम्पाउंड क्षेत्र में एक जर्जर भवन ढहाने गए नगर निगम के एक अधिकारी को बैट से पीट दिया था. विजयवर्गीय का कहना था कि मकान में रह रही महिलाओं को जबरन निकाला गया. यह घटना 26 जून की है. जिसके बाद पुलिस ने इंदौर 3 से विधायक आकाश को गिरफ्तार कर लिया और फिर एक स्थानीय अदालत के सामने पेश किया गया.



अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बीजेपी विधायक की जमानत याचिका खारिज कर दी. इसके साथ ही, उन्हें 11 जुलाई तक न्यायिक हिरासत के तहत जिला जेल भेज दिया गया था. हालांकि आकाश को शनिवार को भोपाल की विशेष अदालत से जमानत मिल गई और वे रविवार को इंदौर की जेल से रिहा हुए.


न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद रहने के दौरान बीजेपी विधायक को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का पुतला जलाने के पुराने मामले में भी गिरफ्तार किया गया था. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अघोषित बिजली कटौती को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विजयवर्गीय की अगुवाई में चार जून को शहर के राजबाड़ा चौराहे पर प्रदर्शन के दौरान यह पुतला जलाया था, लेकिन इस प्रदर्शन के लिये प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गयी थी.