प्रयागराज: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी का प्रयागराज से छह दशक पुराना नाता अब टूटने जा रहा है. डॉ जोशी प्रयागराज के टैगोर टाउन इलाके में स्थित अपने बंगले आंगिरस को बेच रहे हैं और स्थाई तौर पर नई दिल्ली शिफ्ट होने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने यह बंगला 5 करोड़ 70 लाख में अपने पड़ोसी चिकित्सक डॉ आनंद मिश्रा और उनके भाई अनुपम मिश्रा के साथ ही दो अन्य लोगों के हाथों बेच दिया है, जिसकी रजिस्ट्री के लिए वह इन दिनों प्रयागराज में ही हैं. पहले राजनीतिक नाता टूटने और अब बंगला बेचने के बाद डाक्टर जोशी का प्रयागराज से छह दशक पुराना नाता औपचारिक तौर पर टूट जाएगा.


भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ मुरली मनोहर जोशी का प्रयागराज से गहरा नाता रहा है. मूल रुप से उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले के रहने वाले डॉ जोशी मेरठ कालेज से बीएससी पास करने के बाद 1951 में एमएससी में प्रवेश के लिए इलाहाबाद युनिवर्सिटी में आये थे.


उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद 1953 में प्रो. देवेन्द्र शर्मा के निर्देशन में शोध किया और बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ही अध्यापन का कार्य शुरु किया. इस बंगले में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर के. बनर्जी रहते थे. यह बंगला सरकारी था और हर माह प्रशासन को निश्चित किराया जाता था.


1954 में जब प्रोफेसर बनर्जी कोलकाता जाने लगे तो उन्होंने यह बंगला डॉ जोशी को एलाट करा दिया. जिसका बाद में 1997 में डॉ जोशी ने नये सिरे निर्माण भी कराया था. इस बंगले का नाम उन्होंने ही आंगिरस रखा था और यह उनके राजनीतिक सफर का गवाह भी रहा है.


यह बंगला राम मंदिर आन्दोलन के दौरान बीजेपी की राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र भी रहा है. इसके साथ ही डॉ जोशी के चुनाव संचालन का भी केन्द्र हुआ करता था. यहीं से चुनावी रणनीति बनाकर उन्होंने 1996,1998 और 1999 में इलाहाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.


इस बंगले में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी,भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, भैरोंसिह शेखावत, कल्याण सिंह और राजनाथ के साथ कई दिग्गजों का आना जाना था. भारत रत्न नानाजी देशमुख भी जब प्रयागराज आते तो इसी बंगले में रुकते थे.


डॉ जोशी की दो बेटियों में बड़ी बेटी प्रियम्वदा का विवाह भी इसी बंगले से सम्पन्न हुआ था. जबकि दूसरी बेटी निवेदिता की शादी दिल्ली से सम्पन्न हुई थी. 2004 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद संसदीय सीट से हार के बाद डॉ जोशी ने प्रयागराज से दूरी बना ली थी.


2009 में वाराणसी संसदीय सीट और 2014 में कानपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़कर डॉ जोशी संसद पहुंचे थे. इस बीच प्रयागराज कम आने से कार्यकर्ताओं से भी उनकी दूरी बन गई थी. जिसके बाद अब जाकर उन्होंने अपने छह दशक पुराने इस बंगले को ही बेचने का फैसला कर लिया.


इस बंगले को खरीदने वाले डॉ आनन्द मिश्रा उनके साथ ही इलाहाबाद विश्व विद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रहे डॉ हर्ष नाथ मिश्रा के बेटे हैं. इस बंगले को खरीदने को लेकर वे भी बेहद भावुक हैं. लेकिन डॉ जोशी के प्रयागराज छोड़ने का उन्हें भी दुख है.


वहीं इस बंगले का सौदा कराने वाले प्रापर्टी डीलर संदीप दत्ता बताते हैं कि लगभग 1200 वर्ग गज के इस बंगले का चार हिस्से में सौदा उन्होंने ही तय कराया है. जिसमें से डॉ आनन्द मिश्रा और उनके भाई अनुपम मिश्रा के साथ दो अन्य खरीददारों के नाम बंगले की रजिस्ट्री हो रही है. उनके मुताबिक पूरा सौदा लगभग छह करोड़ में हुआ है. प्रापर्टी के कारोबार से जुड़े होने के बावजूद संदीप दत्ता डॉ जोशी के इस तरह से प्रयागराज से नाता तोड़ने को लेकर आहत हैं.