लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सभी राजीतिक दलों पर जल्द से जल्द टिकट घोषित करने का दबाव बढ़ गया है. इसी बीच यूपी चुनाव संचालन समिति की बैठक में भाग लेने यहां पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के यूपी प्रभारी ओम माथुर ने साफ तौर पर कहा कि बीजेपी में 'नेता के पुत्र' और 'रिश्तेदार' भी टिकट मांग सकते हैं, पार्टी में कोई आईपीसी की धारा थोड़े ही लगी है.


नेता के पुत्र भी मांग सकते हैं टिकट


लखनऊ पहुंचे ओम माथुर ने कहा, "बीजेपी एक लोकतांत्रिक पार्टी है. यहां कोई आईपीसी की धारा नहीं लगी है कि कोई टिकट नही मांग सकता. नेता के पुत्र भी टिकट मांग सकते हैं, लेकिन यह पार्टी तय करेगी कि उम्मीदवार जिताऊ और टिकाऊ है या नहीं. जो पार्टी के मानकों पर खरा उतरेगा उसे ही टिकट मिलेगा."


उम्मीदवारों की घोषणा को लेकर माथुर ने कहा कि उम्मीदवारों के नाम 17 से पहले तय कर लिए जाएंगे, लेकिन वह एक ही बार में घोषित होंगे या अलग-अलग, यह संसदीय बोर्ड तय करेगा. लेकिन एक बात तय है कि जो लखनऊ भेजेगा उसे ही दिल्ली को तय करना है.


भारतीय समाज पार्टी से भी चल रही है बातचीत


विधानसभा चुनाव में अन्य दलों के साथ गठबंधन को लेकर माथुर ने कहा कि अभी सिर्फ अपना दल के साथ बातचीत हुई है और एक तरह से वह पार्टी का ही हिस्सा है. भारतीय समाज पार्टी से भी बातचीत चल रही है. हालांकि वह कभी एनडीए का हिस्सा नहीं रहे, लेकिन उनसे बातचीत चल रही है. जल्द ही सबकुछ तय कर लिया जाएगा.


बीजेपी के उप्र प्रभारी ओम माथुर चुनाव संचालन संमिति की बैठक में हिस्सा लेने यहां पहुंचे थे. उमा भारती और राजनाथ सिंह के बैठक में हिस्सा न लेने की वजहों के बारे में माथुर ने कहा कि ऐसा नहीं है. पार्टी में सभी की जिम्मेदारी तय है. उमा से सुबह ही बात हुई है. राजनाथ ने भी असमर्थता जताई थी, इसीलिए वे नहीं आ सके.


यह पूछे जाने पर कि क्या उम्मीदवारों के टिकट दिल्ली में ही तय होंगे, उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है. लखनऊ से नामों का जो पैनल भेजा जाएगा, उसमें से ही दिल्ली को तय करना होगा.


जनता का ध्यान बांटने के लिए था SP का यह झगड़ा


समाजवादी पार्टी के भीतर चल रही रार को लेकर माथुर ने चुटकी लेते हुए कहा कि कुछ दिनों पहले तो ऐसा लगता था कि वाकई में एसपी में झगड़ा चल रहा है, लेकिन मुलायम के कल के बयान के बाद यह तय हो गया है कि एसपी का यह झगड़ा केवल भ्रष्टाचार, लूट और अपराध से जनता का ध्यान बांटने के लिए था.


माथुर ने कहा कि यूपी की जनता और मतदाता दो महीने से चल रहे इस राजनीतिक नाटक को अच्छी तरह से समझते हैं और इसका जवाब चुनाव में देगी. नोटबंदी को लेकर माथुर ने कहा कि परिवर्तन के यात्राओं के दौरान जिस तरह की भीड राष्टीय अध्यक्ष व प्रधानमंत्री की रैलियों में उमड़ी थी, उससे नहीं लगता कि जनता नोटबंदी से नाराज है. लोगों को इस बात का एहसास हो रहा है कि नोटबंदी का फैसला लेकर प्रधानमंत्री ने अच्छा काम किया है.


माथुर से यह पूछे जाने पर कि क्या सर्जिकल स्टाइक भी चुनावी मुद्दा बनेगा तो उन्होंने कहा, "पार्टी इसके पक्ष में नहीं है. सर्जिकल स्टाइक सेना से जुड़ा मुद्दा है और इसको चुनावी मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए."


यूपी में सांप्रदायिक माहौल में चुनाव


एक सवाल के जवाब में माथुर ने कहा कि बीजेपी चाहती है कि यूपी में सांप्रदायिक माहौल में चुनाव हो. कैराना और बिसाहड़ा की घटनाओं की छाप चुनाव में नहीं दिखाई देनी चाहिए. माथुर से यह पूछे जाने पर कि क्या बाहर से आए लोगों को भी पार्टी टिकट देगी, इस पर माथुर ने कहा कि बाहर से आया हुआ व्यक्ति यदि जिताऊ और टिकाऊ होगा तो उसे टिकट जरूर दिया जाएगा.


उप्र में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इस सवाल के जवाब में माथुर ने कहा कि यूपी में बीजेपी को दो करोड़ से अधिक सदस्य हैं और हर सदस्य मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार है. मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा या नहीं होगा, इसका फैसला सही समय पर संसदीय बोर्ड करेगा.


योगी आदित्यनाथ को चुनाव संचालन समिति में जगह नहीं


माथुर से जब यह पूछा गया कि पूर्वांचल के दिग्गज नेता योगी आदित्यनाथ को चुनाव संचालन समिति में जगह नहीं दी गई, इस पर उन्होंने कहा कि योगी पार्टी के लिये उपयोगी व्यक्ति हैं. उनका पार्टी सही उपयोग करेगी.


उल्लेखनीय है कि बीजेपी की चुनाव संचालन समिति में उन चेहरों को जगह दी गई है, जिन्होंने पार्टी के लिये कुछ खास नहीं किया. दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह, ब्रजेश पाठक, स्वामी प्रसाद मौर्य और रीता बहुगुणा जैसे नेताओं को पार्टी ने इस समिति में जगह दे दी, लेकिन योगी को जगह नहीं मिली.