लखनऊ: राजस्थान में बीजेपी के घोषणापत्र और योगी आदित्यनाथ का कनेक्शन आप जानते हैं? चलिए हम बताते हैं. ये कनेक्शन यूपी के मुख्यमंत्री के गुरू गोरखनाथ से है. इसी बहाने पार्टी राज्य में नाथ संप्रदाय के लोगों को लुभाने की कोशिश में है. पश्चिमी राजस्थान में इस समाज के लाखों वोटर हैं. गुरू गोरक्षनाथ के मान सम्मान की आड़ में बीजेपी इनके वोट की जुगाड़ में है. इसीलिए पार्टी के संकल्प पत्र में गोरक्षनाथ के नाम पर स्मारक से लेकर लाइब्रेरी बनाने तक के वादे किए गए हैं.


लेकिन सबसे दिलचस्प है ‘गोरखधंधा’ शब्द पर बैन लगाने का बीजेपी का वादा. कहा गया है कि सरकार बनने पर इस शब्द के लिखने पढ़ने पर रोक लगा दी जायेगी. पार्टी के संकल्प पत्र में लिखा है “अनैतिक/बुरे कार्य/ ग़लत कार्य हेतु गोरखधंधा शब्द को प्रतिबंधित कर दंडित करने के लिए क़ानून बनाया जायेगा”. मतलब ये कि अगर बीजेपी की सरकार दुबारा बनी तो गोरखधंधा लिखने, पढ़ने और बोलने वालों को जेल भी जाना पड़ सकता है.


आप सोच रहे होंगे इस शब्द से बीजेपी को अचानक इतनी नफ़रत क्यों हो गई? हम बताते हैं. यूपी के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ तो गोरक्षनाथ पीठ के महंत भी हैं. बस शब्दों के मिलते जुलते बोल होने के कारण इसे बैन करने का वादा किया गया है. कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं गुरू गोरक्षनाथ जी महान संत थे, बीजेपी के नेता शब्दों की ग़लत व्याख्या कर रहे हैं.


बीजेपी ने राजस्थान के लिए जारी मैनिफ़ेस्टो में नाथ संप्रदाय के मठों और मंदिरों के जीर्णोद्धार का भरोसा दिया गया है. ये भी कहा गया है कि गुरू गोरखनाथ जी का राष्ट्रीय स्मारक बनाया जायेगा. बीजेपी की सरकार बनने पर सिलेबस में उनके जीवन को शामिल किया जायेगा. सरकारी स्कूलों में गुरू गोरक्षनाथ के योग के योगदान को पढ़ाने का वादा किया गया है. गुरू के सम्मान में बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में लाइब्रेरी बनाने की बात भी कही है.


पश्चिमी राजस्थान में नाथ संप्रदाय के अनुयायियों का दबदबा है. बीकानेर से लेकर बाड़मेर तक. उनके प्रभाव को देखते हुए ही बीजेपी गुरू गोरक्षनाथ के नाम का जाप कर रही है. क्या पता गुरू नाम से ही चुनाव में उद्धार हो जाए. वैसे राजस्थान में पार्टी की हालत ठीक नहीं है. नाथ समाज के लोगों में गोरक्ष पीठ के महंत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का बड़ा सम्मान है. इसीलिए पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाया है. उनकी बड़ी डिमांड है. लगातार तीन दिनों तक योगी ने धुँआधार चुनाव प्रचार किया. अभी उन्हें कुछ और रैलियां करनी हैं.