नई दिल्ली: कैराना लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की हार ने पार्टी के भीतर घमासान मचा दिया है. विधायक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तो बीजेपी सांसद एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं. बिजनौर से बीजेपी सांसद भारतेंदु सिंह ने मुज्जफरनगर से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान पर को कैराना में हार को लेकर निशाने पर लिया है. वहीं संजीव बालियान भी भारतेंदु सिंह के कम प्रचार करने को हार की वजह बता रहे हैं.


सांसद भारतेंदु सिंह ने उत्तर प्रदेश के पंचायत मंत्री भूपेंद्र सिंह को भी हार कर लिये ज़िम्मेदार ठहराया है. दरअसल भारतेंदु सिंह और संजीव बाल्यान का 36 का आंकड़ा है. ऐसे में कैराना की हार के बहाने सांसद एक दूसरे पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं.


भारतेंदु सिंह ने कहा, ''ऐसे नेताओं को भेजना चाहिए था जिनकों चुनाव लड़ने का अनुभव है. कांता कर्दम जी, भूपेंद्र सिंह और संजीव बालियान को भेजा गया. जमीन से जुड़े नेताओं को भेजना चाहिए था.''


वहीं संजीव बालियान भारतेंदु सिंह को राजा साहब कहकर तंज कस रहे हैं और घर घर जाने की नसीहत दे रहे हैं. संजीव बालियान ने कहा, ''मैं वहां पर कोई आधिकारिक प्रभारी नहीं था, पार्टी की वजह से मेरा वजूद है इसलिए काम किया. लेकिन वो राजा हैं उन्हें लगता होगा आम चुनाव में ऐसे घर घर घूमना उनकी शान के खिलाफ है.''


कैराना में क्या रहा बीजेपी की हार का कारण?
कैराना की हार के कई कारण है, इसमें सबसे अहम कारण जाटव-मुस्लिम वोट का एक साथ आना तो है ही, साथ ही मुस्लिम-जाटों का एक साथ आना भी है. ये माना जा रहा था कि दंगो के बाद मुस्लिम और जाट एक साथ नहीं आयेंगे, लेकिन बीजेपी के गणित के उलट जाट और मुस्लिम एक साथ आ गए बल्कि गुर्जर वोट भी बीजेपी को नही मिला.


पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अजित चौधरी और जयंत चौधरी की मंर्मिक अपील के चलते जाट वोट भी बीजेपी से छिटक कर आरएलडी में चला गया. हालांकि सूत्रों का कहना है कि 40 फीसदी जाट वोट बीजेपी के खाते में आया है जबकि पिछले दो चुनावों 2014 और 2017 में 60 फीसदी जाट वोट बीजेपी के खाते में आया था।


सबसे अहम बात है कि बीजेपी को वोट करने वाला वोटर ही घर से वोट करने नहीं निकला. इस वजह से न केवल वोट प्रतिशत कम हुआ बल्कि बीजेपी को कैराना में हार का मुंह भी देखना पड़ा.