पटना: बीजेपी नेता भूपेन्द्र यादव ने मंगलवार को कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों, भोपाल गैस त्रासदी, शाह बानो प्रकरण, बोफोर्स घोटोला आदि मामलों से भले ही कांग्रेस मुंह चुराने की कोशिश करे, लेकिन इससे न तो तथ्य बदलेंगे और न ही इतिहास. भूपेंद्र यादव का यह बयान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक ताजा टिप्पणी को लेकर हुए विवाद के बीच आया है.
बीजेपी महासचिव ने फेसबुक पर अपनी पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान के बाद देश में भारत की राजनीति के उस कालखंड की चर्चा शुरू हुई है, जिसमें नेहरू-गांधी परिवार के एक सदस्य प्रधानमंत्री हुआ करते थे. 1984 के चुनाव सहानुभूति की परछाई में हुए थे, जिसका लाभ कांग्रेस को मिला और 414 सीटों के साथ वह चुनकर सत्ता में आई. नेहरु-इंदिरा के परिवार के ही एक सदस्य प्रधानमंत्री बने. पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद जब यह सरकार चुनावों में जनता के बीच 1989 में गयी तो उसे बुरी हार का सामना करना पड़ा.
भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘‘भले ही कांग्रेस पार्टी इतिहास के इस कालखंड से मुंह चुराने की कोशिश करे, लेकिन इससे न तो तथ्य बदल जाते हैं और न ही इतिहास पर पर्दा डाला जा सकता है. उनके उस कार्यकाल की कुछ बातें हैं जो देश नहीं भूलने वाला है .‘‘ यादव ने आरोप लगाया, ‘‘ वर्ष 1984 में जब दिल्ली में सिखों का कत्लेआम हो रहा था और कांग्रेस के तमाम नेता उस आग को हवा दे रहे थे. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अत्यंत ही असंवेदनशील और मानवीय संवेदनाओं को तार-तार करने वाला बयान देते हुए कहा था- जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है! ’’ उन्होंने दिसंबर 1984 को ही मध्यप्रदेश के भोपाल में एक त्रासदीपूर्ण गैस दुर्घटना और उसके मुख्य आरोपी एंडरसन सुरक्षित भगाने का भी जिक्र किया.