लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति को और मजबूत करके पिछले लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा बड़ी जीत हासिल करने के लिये सत्तारूढ़ बीजेपी अपने छोटे सहयोगी दलों को साथ रखने की कोशिश में है. बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपने खिलाफ बने सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को चुनौती देने के लिये अपने सहयोगी दलों सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल-सोनेलाल को अपने ही साथ बनाये रखने की पूरी कोशिश कर रही है.
पिछले कुछ समय से नाराज इन सहयोगी दलों को मनाने के लिये प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए पिछले सप्ताह प्रदेश के विभिन्न निगमों एवं परिषदों में सुभासपा और अपना दल के नेताओं को भी महत्वपूर्ण पदों से नवाजा.
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वैसे तो उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में मजबूत है, लेकिन छोटे सहयोगी दलों के साथ रहने से सोने पर सुहागा वाली स्थिति होगी. इससे बीजेपी को अपनी स्थिति और मजबूत करने में मदद मिलेगी.
हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की 80 में से 71 सीटें हासिल की थी. मगर, जानकारों का मानना है कि 2019 के आम चुनाव की तासीर अलग है. यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं ने भी स्वीकार किया है कि सपा, बसपा और रालोद की चुनौती काफी मजबूत है.
अपना दल-सोनेलाल का जहां पिछड़ों, खासकर कुर्मी मतदाताओं में जनाधार माना जाता है वहीं, सुभासपा भी पिछड़ों, विशेषकर राजभर बिरादरी में लोकप्रिय मानी जाती है. ये दोनों समुदाय प्रदेश के विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में दबदबा रखते हैं.